जमुई : जलवायु संकट और पर्यावरण संरक्षण की गंभीर चुनौती के बीच जमुई जिले के युवाओं ने एक सराहनीय कदम उठाया है. रीजेनेरेटिव बिहार और जलवायु समर्थ पंचायत अभियान से जुड़े युवाओं ने इस वर्ष “प्लास्टिक मुक्त पूजा अभियान” की शुरुआत की है. इस पहल का उद्देश्य त्योहारों को अधिक पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ बनाना है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, प्लास्टिक कचरा धीरे-धीरे विघटित होकर माइक्रो और नैनोप्लास्टिक में बदल जाता है. यह हवा, पानी और मिट्टी के जरिए हमारे भोजन तक पहुँचकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न करता है. शोध बताते हैं कि प्लास्टिक कण पाचन तंत्र, फेफड़ों, किडनी और प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डालते हैं, साथ ही कई प्रकार के कैंसर का भी कारण बन सकते हैं.इन्हीं खतरों को ध्यान में रखते हुए अभियान के तहत जिले के सभी पूजा पंडालों में आयोजकों और श्रद्धालुओं को प्लास्टिक व थर्मोकोल से बनी प्लेट, कटोरी और गिलास की जगह पत्तल, दोना और कागज के बायोडिग्रेडेबल बर्तनों के प्रयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस पहल की विशेषता यह है कि इन बर्तनों को महिला किसानों और स्थानीय समूहों द्वारा तैयार किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण आजीविका को भी मजबूती मिलेगी.
अभियान से जुड़े युवाओं ने बताया कि यह पहल केवल प्लास्टिक पर रोक लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य समाज में यह संदेश पहुँचाना है कि त्योहार मनाने के तरीके बदलकर भी हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं. इससे न केवल प्रकृति को नुकसान से बचाया जा सकता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण भी सुनिश्चित किया जा सकता है.
पूजा समितियों ने भी इस पहल का स्वागत किया है. कई पंडालों में पहले ही पत्तल और दोना जैसी पारंपरिक वस्तुओं का उपयोग शुरू हो चुका है. आयोजकों का कहना है कि इससे न केवल कचरे की समस्या कम होगी बल्कि त्योहारों में देसी और पारंपरिक स्वाद भी लौटेगा. जिले के पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि यह “प्लास्टिक मुक्त पूजा अभियान” अन्य जिलों और राज्यों के लिए भी एक प्रेरणादायक मॉडल साबित होगा. युवाओं ने अपील की है कि हर नागरिक इस अभियान का हिस्सा बने और त्योहारों को सचमुच “स्वच्छ और पवित्र” बनाएं.