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‘बिहार को और अधिक मदद की जरूरत…’ JDU ने फिर उठाई विशेष राज्य के दर्जे की मांग

बजट से ठीक पहले बिहार को विशेष राज्य दर्जा दिलाने की आवाज बुलंद हो रही है. एनडीए के सहयोगी दलों ने आवाज उठाई है कि विशेष राज्य का दर्जा मिले. नीतीश कुमार की जेडीयू, जीतनराम मांझी की हम और चिराग पासवान की एलजेपी ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग की है. जेडीयू नेता ने कहा विशेष राज्य बिहार की आश्यकता है. वहीं HAM ने कहा बिना इसके हम विकास कर नहीं पा रहे हैं, हमारे पास संसधानों का अभाव है.. इसलिए बिहार को विशेष राज्य दर्जा मिलना चाहिए.

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HAM नेता और बिहार के मंत्री संतोष मांझी ने कहा,’आज विशेष राज्य का दर्जा बिहार की मांग है. एक बिहारी होने के नाते मैं भी मांग करता हूं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या आर्थिक पैकेज की सख्त जरूरत है ताकि बिहार का विकास हो सके.’

इससे पहले बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर जेडीयू ने बड़ा बयान देते हुए कहा कम से कम बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. बिहार के मंत्री और जेडीयू नेता विजय चौधरी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज की आवश्यकता है क्योंकि बिहार के पास प्राकृतिक संसाधनों की कमी है.

जेडीयू की मांग

उन्होंने कहा कि, इस संसाधनों की कमी के ऐतिहासिक या भौगोलिक कारण हैं , न कि बिहारवासियों की वजह से. हमारे यहां न तो खदानें हैं, न ही समुद्री तट है. कुछ राज्यों में सोने या हीरे की खदानें हैं, कुछ के पास लंबा समुद्री तट है. यह उनकी सरकार या जनता की उपलब्धि नहीं, बल्कि भौगोलिक वरदान है. हम देश के किसी भी राज्य के मुकाबले तेज़ गति से प्रगति कर रहे हैं.’

विजय चौधरी ने कहा, ‘इतनी प्रगति के बावजूद बिहार अभी भी पिछड़ा हुआ है. यही कारण है कि हम विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज की मांग कर रहे हैं. हमें और अधिक सहायता की आवश्यकता है ताकि हम अपने पिछड़ेपन को दूर कर सकें.’

कांग्रेस का नीतीश पर तंज

बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की जेडीयू की मांग पर कहा, ‘बिहार के लोगों को ठग रहे है विशेष राज्य दर्जा की बात करके. जब से नीतीश कुमार सीएम है तब से विशेष राज्य का रट लगाते है लेकिन पीएम मोदी उनकी सुनते ही नहीं है,नीतीश कुमार एक असहाय सीएम है’

विशेष श्रेणी का दर्जा कैसे दिया जाता है?
केंद्र सरकार सामाजिक-आर्थिक और भौगोलिक रूप से पिछड़े राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा देती है, ताकि उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिल सके. पांचवें वित्त आयोग की सलाह पर 1969 में यह वर्गीकरण किया गया था. चूंकि भारत ‘राज्यों का संघ’ है. वर्तमान में भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं. वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हर पांच साल में केंद्र सरकार के राजस्व का एक हिस्सा मिलता है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 275 के अनुसार, केंद्र सरकार किसी भी राज्य को वित्त आयोग की सिफारिशों के अलावा अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती है. 29 भारतीय राज्यों में से 11 को पहले से ही विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा प्राप्त है और 5 और राज्य इसके लिए अनुरोध कर रहे हैं.

विशेष राज्यों का दर्जा देने का क्या पैमाना?
– संसाधनों की कमी से जूझ रहा राज्य.
– प्रति व्यक्ति निम्न आय.
– राज्य की वित्तीय स्थिति व्यवहार्य नहीं होना.
– आर्थिक एवं संरचनात्मक पिछड़ापन.
– एक बड़ी जनजाति का अस्तित्व.
– पहाड़ी और चुनौतीपूर्ण इलाका.
– सीमावर्ती क्षेत्र जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं.
– एक विरल आबादी वाला क्षेत्र.
राष्ट्रीय विकास परिषद, योजना आयोग के कार्यों की देखरेख और निर्देशन करती है. प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और आयोग के सदस्यों से मिलकर बनी होती है.

विशेष श्रेणी का दर्जा मिलने पर राज्य को मिलते हैं क्या लाभ?
विशेष श्रेणी का दर्जा मिलने पर केंद्र सरकार उस राज्य को केंद्र प्रायोजित योजनाएं लागू करने के लिए 90 प्रतिशत धनराशि देती है, जबकि अन्य राज्यों में यह 60 प्रतिशत या 75 प्रतिशत होती है. बाकी धनराशि राज्य सरकार खर्चती है. यदि आबंटित धनराशि खर्च नहीं की जाती है तो वह समाप्त नहीं होती है तथा उसे कैरी फॉरवर्ड यानी आगे ले जाया जाता है. राज्य को सीमा शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर सहित करों और शुल्कों में भी महत्वपूर्ण रियायतें मिलती हैं. केन्द्र के सकल बजट का 30 प्रतिशत हिस्सा विशेष श्रेणी वाले राज्यों को जाता है.

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