बिहार: राष्ट्र गुणगान यात्रा में बाधा डालना लोकतंत्र के खिलाफ : निर्भय प्रताप सिंह

जमुई : राष्ट्र गुणगान यात्रा को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है. नेचर विलेज के संस्थापक एवं राष्ट्र उत्थान यात्रा के सूत्रधार निर्भय प्रताप सिंह ने रविवार को नेचर विलेज कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस जारी कर पत्रकारों को बताया कि यह यात्रा किसी राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान को याद दिलाने तथा युवाओं में राष्ट्रवादी चेतना जगाने के उद्देश्य से निकाली जा रही है. इसके बावजूद इसे रोकने और बाधित करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है, जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतंत्र की गरिमा के खिलाफ है.

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उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी आवेदन स्वीकारने से कतराते हैं और बहाने बनाते हैं, जबकि राजनीतिक दबाव में आकर शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करने लगते हैं. “जब चौक पर मैंने राष्ट्र उत्थान यात्रा का कार्यक्रम आयोजित किया था, तो अधिकारियों ने कहा कि आवेदन लेने की क्षमता हमारे पास नहीं है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इन्हीं अधिकारियों के पास यात्रा रोकने की क्षमता आ जाती है. यह दोहरा रवैया लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.”

निर्भय प्रताप ने यह भी कहा कि हाल ही में वह बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा से मिले थे और इस तरह की घटनाओं की शिकायत दर्ज कराई थी. उपमुख्यमंत्री ने स्वयं एसडीएम को फोन कर स्पष्ट निर्देश दिया था कि यात्रा में किसी प्रकार की बाधा न डाली जाए. “इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा यात्रा को बाधित किया जा रहा है, जो कि बेहद घृणित और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है.”उन्होंने आरोप लगाया कि जो जनप्रतिनिधि वर्षों से क्षेत्र में दिखाई नहीं दिए, जनता की समस्याओं को समझने के लिए मैदान में नहीं उतरे, वही लोग अब राजनीतिक षड्यंत्र के तहत यात्रा को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. “चार साल तक लोगों ने उन्हें नहीं देखा. गरीबों, महिलाओं और बच्चों की समस्याओं से वे अनजान हैं. गांव की सड़कों, शिक्षा और स्वास्थ्य की हालत कैसी है, इसकी सुध कभी नहीं ली. लेकिन जब राष्ट्र गुणगान यात्रा में हर वर्ग और संगठन के लोग शामिल होकर समर्थन दे रहे हैं, तब इन्हें यह यात्रा अखर रही है.”उन्होंने साफ कहा कि राष्ट्र गुणगान यात्रा किसी राजनीतिक दल के लिए वोट मांगने का अभियान नहीं है. इसका मकसद स्वतंत्रता सेनानियों जैसे जगदीश लोहार, रामधारी सिंह और रामधारी मंडल जैसे नायकों की गाथा को जन-जन तक पहुँचाना है. “आज का युवा मोबाइल और डेटा की दुनिया में उलझा हुआ है. उसके पास जानकारी तो बहुत है, लेकिन अपने स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान से अनजान है. यह यात्रा उन्हें जागरूक करने और राष्ट्रवाद की भावना जगाने का प्रयास है.”

निर्भय प्रताप ने सवाल उठाया कि आखिर किनके दबाव में अधिकारियों ने यात्रा को रोकने की कोशिश की और तिरंगा तक थामने का प्रयास किया. “जब एसडीएम और अन्य पदाधिकारी इस विधानसभा के रिटर्निंग ऑफिसर बनने वाले हैं, तो यदि वे आज से ही राजनीतिक दबाव में काम करेंगे तो चुनाव की निष्पक्षता कैसे कायम रहेगी? यह जांच का विषय है कि किनके इशारे पर ऐसी घटनाएं हुईं.”उन्होंने कहा कि वंशवाद और विरासत पर टिकी राजनीति अब नहीं चल सकती. केवल वही नेता जनता की सच्ची समस्याओं को समझ सकता है, जो संघर्ष करता है और लोगों के बीच रहता है. “सियासत कुर्सी से नहीं, संघर्ष से बनती है.जब तक नेता गांव-गांव जाकर किसानों, मजदूरों, महिलाओं और युवाओं की समस्याओं को महसूस नहीं करेंगे, तब तक जनता का विश्वास हासिल नहीं कर सकते.”

उन्होंने अंत में स्पष्ट किया कि राष्ट्र गुणगान यात्रा राष्ट्र की गौरवगाथा को जन-जन तक पहुँचाने और युवाओं में नई ऊर्जा भरने का प्रयास है. इसे रोकने की कोशिश दरअसल राष्ट्रवाद की आवाज को दबाने की कोशिश है, जिसे किसी भी हाल में सफल नहीं होने दिया जाएगा.

 

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