पटना: शारदीय नवरात्र के नौ दिवसीय पर्व का आज समापन हो जाएगा और विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार इस बार विजयादशमी पर उत्तराषाढ़ा व श्रवणा नक्षत्र का युग्म संयोग बन रहा है. इसके साथ ही सुकर्मा योग, धृति योग, रवियोग और सिद्ध योग का संयोग भी रहेगा, जो इस दिन को और अधिक शुभ बना रहा है. नवरात्र के समापन के साथ ही माता दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन पूजा पंडालों से शुरू हो जाएगा. देवी पुराण के अनुसार, पालकी में भगवती दुर्गा की विदाई होने से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शुभता की वृद्धि होती है.
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि नवरात्र के दौरान भक्तजन फलाहार और सात्विक भोजन के साथ देवी की आराधना करते हैं. माता की भक्ति से ही उन्हें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति और ऊर्जा मिलती है. जगत जननी अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके जीवन को मंगलमय बनाती हैं.
विजयादशमी को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है. पंडित झा के अनुसार, चातुर्मास में चार महीने तक शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन विजयादशमी का दिन सभी शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम है. इस दिन गृहप्रवेश, भूमि पूजन, विवाह-निश्चय, नूतन व्यापार की शुरुआत, सत्यनारायण पूजा और वाहन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है. भक्तजन मां दुर्गा की विदाई के साथ विजयादशमी का पर्व उत्साहपूर्वक मनाते हुए नई ऊर्जा और उम्मीदों के साथ जीवन के कार्यों की शुरुआत करेंगे.