ज्योतिषाचार्य राकेश झा के अनुसार, महागौरी का स्वरूप अत्यंत सौम्य और मोहक है. उनका वर्ण श्वेत है और वे श्वेत वस्त्र व आभूषण धारण करती हैं. चार भुजाओं वाली देवी वृष वाहन पर आरूढ़ रहती हैं. दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और त्रिशूल तथा बाएं हाथ में डमरू और वर मुद्रा है.मान्यता है कि देवी महागौरी की उपासना से धन-ऐश्वर्य, वैवाहिक सुख और शारीरिक-मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.उनकी पूजा से अपवित्र विचार नष्ट होकर मन की पवित्रता बढ़ती है. साथ ही सकारात्मक ऊर्जा, एकाग्रता और सर्व कष्टों से मुक्ति मिलती है. जो लोग विवाह में बाधाओं से जूझ रहे हैं, उन्हें शीघ्र विवाह का वरदान प्राप्त होता है और दांपत्य जीवन भी मधुर बनता है.
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि महागौरी की आराधना से ग्रह दोष शांत होते हैं और व्यापार, कला, गायन व नृत्य जैसे क्षेत्रों में विशेष सफलता मिलती है. त्वचा संबंधी रोगों से राहत भी उनकी पूजा का फल मानी जाती है.धार्मिक मान्यता है कि माता सीता ने भगवान श्रीराम की प्राप्ति हेतु महागौरी की ही आराधना की थी. इसी कारण महाष्टमी का दिन आस्था और श्रद्धा से भरा विशेष महत्व रखता है.