औरंगाबाद: पिछले कुछ दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिश के बाद धान की रोपनी में काफी तेजी देखी जा रही है. बारिश ने धान की रोपनी करने के लिए किसानों को काफी राहत दी है. विभागीय आंकड़ा के अनुसार औरंगाबाद जिले में अब तक 37 प्रतिशत रोपनी हो चुकी है. इस बार एक लाख 72 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. यह लक्ष्य वर्ष 2023-24 के अपेक्षाकृत तकरीबन 1000 हेक्टेयर अधिक है. वहीं पिछले साल से कम है. पिछले वर्ष एक लाख 75 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी.
इस संबध में जिला कृषि पदाधिकारी संदीप राज ने बताया कि जुलाई महीने में बारिश की काफी संभावना रहती है. यह महीना धान रोपाई के लिए बहुत ही उपयोगी होता है. एक दो सप्ताह के अंदर जिले में धान रोपनी का काम पूरा होने की संभावना है. जिले में अब तक 37 प्रतिशत धान की रोपनी हो पायी है. बारिश होने से किसानों को धान रोपाई में काफी सहूलियत हो रही है और वे युद्ध स्तर पर अपने कार्य में लगे हुए है.
उन्होंने बताया कि किसानों को धान रोपनी के बारे में जानकारी दी जा रही है. जिले में जो लक्ष्य निर्धारित है उसे पूर्ण करने का प्रयास किया जाएगा. किसानों को बीज, उर्वरक और तकनीकी सहायता दी जा रही है. मोबाइल कृषि यूनिट और फील्ड समन्वयकों को सक्रिय किया गया है, जो हर गांव में पहुंचकर किसानों की मदद कर रहे हैं.
जिला कृषि कार्यालय की ओर से लगातार निगरानी की जा रही है ताकि समय पर सभी को सहायता मिल सके. इस बार मौसम और मेहनत दोनों साथ चल रहे हैं. मौसम अनुकूल होने के कारण, इस बार लक्ष्य से अधिक धान की रोपाई होने की उम्मीद है. धान की लहलहाती फसलें जल्द ही खेतों को हरा सोना बना देंगी.
जिले के हर प्रखंडों के लिए लक्ष्य निर्धारित :
धान की खेती के लिए जिले के सभी प्रखंडों के लिए अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित है. सदर प्रखंड में 14 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होगी. बारुण में 17 हजार, दाउदनगर में 10 हजार, देव में 11 हजार, गोह में 16 हजार, हसपुरा में 10 हजार, कुटुंबा में 20 हजार, मदनपुर में 10 हेक्टेयर, नवीनगर में 24 हजार, ओबरा में 20 हजार हेक्टेयर व रफीगंज प्रखंड में 18 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाने का संभावित लक्ष्य निर्धारित है. इसमें दक्षिणी क्षेत्र के कई ऐसे प्रखंड हैं, जहां असिंचित भूभाग अधिक है. रफीगंज, मदनपुर, नवीनगर, देव व कुटुंबा प्रखंडों के दर्जनों गांवों में भगवान भरोसे खेती होती है.