बिहार के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 का आयोजन नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में हो रहा है. अपने पिछले संस्करणों में मिली अभूतपूर्व कामयाबी को आगे बढ़ाते हुए यह संस्करण अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा. इस बार इस आयोजन में 90 से अधिक देशों, 2 हजार से अधिक प्रदर्शकों और खेत से लेकर थाली तक संपूर्ण खाद्य मूल्य श्रृंखला से जुड़े हजारों हितधारकों की भागीदारी होने वाली है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य ने बीते सालों में कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है.
उन्होंने कहा कि इस आयोजन का मकसद भारत को खाद्य प्रसंस्करण और आपूर्ति का वैश्विक खाद्य केंद्र के रूप में स्थापित करना है. यह सम्मेलन वरिष्ठ सरकारी प्रतिनिधियों, निवेशकों, देश-विदेश की खाद्य कंपनियों के प्रमुखों और अलग-अलग हितधारकों के लिए साझा मंच साबित होगा. दुनिया भर के कई उत्पादकों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं, उपकरण निर्माताओं, लॉजिस्टिक्स और कोल्ड चेन कंपनियों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, स्टार्ट-अप्स, इनोवेटर्स और खुदरा विक्रेताओं को अपनी क्षमता प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा.
खाद्यान्न आपूर्ति मेंबिहार का भी अहम योगदानः DyCM सिन्हा
उपमुख्यमंत्री सिन्हा ने कहा कि देश की खाद्यान्न आपूर्ति में बिहार भी अपना अहम योगदान बेहतर उत्पादन और उत्पादकता के साथ कर रहा है. राज्य ने बीते सालों में कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है. राज्य में साल 2024-25 में 33.45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती कर 99.34 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ. इसी तरह 23.40 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई से 78.27 लाख मीट्रिक टन और 9.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की खेती से 66.03 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ. मक्का की उत्पादकता 69.13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही.
उन्होंने बताया कि साल 2024-25 में कुल 71.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 249.21 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ. बिहार में उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी किसानों की मेहनत, आधुनिक तकनीक और प्रदेश सरकार की दूरदर्शी नीतियों का प्रतिफल है. इस साल औसत उत्पादकता 35.08 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई, जो बिहार के कृषि इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है.
मखाना बोर्ड की स्थापना से होगा फायदाः DyCM सिन्हा
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिहार की तीन-चौथाई से अधिक आबादी सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर है, जिनमें 91 फीसदी से अधिक किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी के हैं. ऐसे किसानों को सशक्त बनाने के लिए राज्य में कृषि रोडमैप आधारित विकास रणनीति अपनाई गई है. फिलहाल चौथा कृषि रोडमैप (2023-2028) लागू है, जिसके अंतर्गत फसल उत्पादन, उत्पादकता और विविधता में उल्लेखनीय प्रगति हुई है.
इस दौरान उपमुख्यमंत्री ने मखाना का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि देश के कुल मखाना उत्पादन का 85% बिहार में होता है. केंद्र सरकार द्वारा मखाना बोर्ड की स्थापना का फैसला न केवल सराहनीय है बल्कि यह राज्य के हजारों किसानों को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने वाला कदम है. इससे करीब 50 हजार मखाना उत्पादक किसान परिवारों को फायदा होगा और बिहार के मखाना को वैश्विक पहचान मिलेगी. राज्य सरकार की योजनाओं के अंतर्गत मखाना उत्पादन और प्रसंस्करण को गति दी जा रही है.
साथ ही उपमुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 जैसे आयोजनों से न केवल बिहार की खेती की संभावनाओं को सुदृढ़ करेंगी, बल्कि किसानों की आय वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा प्रदान करेंगी. उन्होंने कहा कि बिहार कृषि क्षेत्र में विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है और सरकार किसानों के साथ हर कदम पर मजबूती से खड़ी है.