पटना: सिर्फ 21 साल की उम्र में करोड़ों की संपत्ति और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर फ्रॉड का नेटवर्क – यह कहानी है बिहार के सुपौल जिले के हर्षित मिश्रा की.महज तीन वर्षों में उसने दुबई और मलेशिया में 10 करोड़ रुपए का निवेश किया. ऐशो-आराम की जिंदगी जीने वाले हर्षित के अपराध का खुलासा 20 जुलाई को हुआ जब आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की टीम ने गौसपुर स्थित उसके घर पर छापा मारा.
करीब 19 घंटे चली कार्रवाई में टीम ने हर्षित को गिरफ्तार किया और उसके पास से 8 सिम बॉक्स और 1300 सिम कार्ड बरामद किए. 21 जुलाई को EOU ने औपचारिक रूप से इस छापेमारी की जानकारी दी. हर्षित के साथ इस नेटवर्क में शामिल पांच अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया, वहीं 30 जुलाई को आरा से मुकेश कुमार की गिरफ्तारी इस मामले में सातवीं थी.गांव वालों को लंबे समय तक यही लगता रहा कि हर्षित रियल एस्टेट और शेयर बाजार में निवेश कर पैसा कमा रहा है. लेकिन अब खुलासा हुआ कि वह चीन के साइबर अपराधियों के संपर्क में था और भारत में उनका बड़ा ऑपरेटर बन चुका था. सिम बॉक्स के जरिए वह आर्टिफिशियल टेलीफोन एक्सचेंज चला रहा था और देश में टेलीकॉम कंपनियों को नुकसान पहुंचा रहा था.
पुलिस पूछताछ में हर्षित ने स्वीकार किया कि चीन के साइबर अपराधियों ने उसे इस फर्जीवाड़े की तकनीक सिखाई. 2022 में वह वियतनाम गया और वहां से कंबोडिया, थाइलैंड, दुबई और हांगकांग तक का बिजनेस टूर किया. इन दौरों में उसे सिम बॉक्स से साइबर ठगी करने की ट्रेनिंग दी गई। लग्जरी जीवन और अय्याशी के शौक में डूबा हर्षित अब सलाखों के पीछे है, लेकिन इस मामले की जांच अभी भी जारी है.