पिछले कुछ दिनों से देश के अंदर भाषा विवाद का मुद्दा गरमाया हुआ है और इस पर लगातार सियासत जारी है. ऐसे में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आजतक के साथ खास बातचीत में ‘भाषा विवाद’ पर कई सवालों के जवाब दिए. उन्होंने कहा, “जमीन पर कुछ और दिख रहा है, राजनीति कुछ और है. तमिलनाडु बोर्ड में बिहार की एक बेटी ने तमिल भाषा में 100 से 100 नंबर लाई है. हमको तमिल भाषा के प्रति अत्यंत आदर है.”
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “एनआईपी में कहीं नहीं कहा गया है कि आपको किसी निर्दिष्ट भाषा को पढ़ना पडे़गा. हमने लिखा है कि प्रारंभिक शिक्षा में पढ़ाई का माध्यम मातृ भाषा होगी.”
शिक्षा मंत्री ने कहा कि आप किसी भी भाषा में पढ़ाइए,हमने कहीं नहीं कहा है कि हिंदी में पढ़ाओ. कौन आपके ऊपर हिंदी थोप रहा है. ये राजनीति और सीमित सोच है और कांग्रेस इसमें हाथ में हाथ मिला रही है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु में तमिल, केरल में मलायलम, महाराष्ट्र में मराठी, गुजरात में गुजराती, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तेलुगू. तो आपत्ति किस मामले में है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना चाहिए.”
उन्होंने आगे कहा कि भाषा विवाद कांग्रेस की देन है. 2014 के पहले से भी भारत में त्रिभाषी फॉर्मूला है. 6,7,8,9 और 10 पांच साल में तीन भाषा पढ़ाओगे, दो साल और एक्सटेंड किया. इसके साथ ही और एक सुधार किया गया है कि दो भारतीय भाषा होनी चाहिए. आप मातृ भाषा पढ़ो, इंग्लिश पढ़ना चाहते हैं तो पढ़ो और तीसरी भाषा कोशिश करो कि एक भारतीय भाषा हो.
धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा, “तमिलनाडु के मंत्री को मैंने तथ्य दिखा और उन्हीं की सरकार की जानकारी उनके सामने रखा. तमिलनाडु में अभी भी तीन भाषा पढ़ाई जाती है. वहां तो तमिल के स्टूटेंड्स की संख्या घट रही है.”