बीजापुर पुलिस को माओवादी विरोधी अभियान में एक और बड़ी उपलब्धि मिली है। जिले में बुधवार को कुल 30 माओवादियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इनमें से 20 माओवादियों पर कुल 81 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वालों में केके सब डिवीजन ब्यूरो इंचार्ज सोनू हेमला और उनकी पत्नी भी शामिल हैं, जिन्होंने मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, संगठन की विचारधारा से मोहभंग और आंतरिक मतभेदों के चलते माओवादियों ने यह कदम उठाया। आत्मसमर्पण करने वालों ने बताया कि वे परिवार और समाज के साथ सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। बीजापुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने कहा कि शासन की पुनर्वास नीति और सुरक्षा बलों के लगातार दबाव ने इस प्रक्रिया को गति दी है।
इस वर्ष जनवरी से अब तक जिले में 307 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि 132 मुठभेड़ों में मारे गए हैं। यह आंकड़ा बताता है कि माओवादी संगठन का प्रभाव लगातार कमजोर हो रहा है और लोग सरकार की विकासपरक योजनाओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक माओवादी को प्रोत्साहन राशि के रूप में 50-50 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया। अधिकारियों ने इस मौके पर शेष माओवादियों से भी अपील की कि वे भ्रामक विचारधारा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हों।
इस अवसर पर दंतेवाड़ा रेंज के उप पुलिस महानिरीक्षक कमलोचन कश्यप, बीजापुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव, डीआरजी, जिला बल, एसटीएफ, कोबरा और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
आत्मसमर्पण करने वालों में सोनू हेमला, कल्लू पूनेम, कोसी कुंजाम, मोटी पूनेम, पांडे पूनेम, छोटू कुंजाम समेत कई माओवादी शामिल हैं, जिन पर लाखों का इनाम था और वे लंबे समय से सक्रिय थे।
यह सफलता न केवल सुरक्षा बलों की रणनीति का परिणाम है बल्कि यह भी दर्शाती है कि अब माओवादी कैडर सरकार की नीतियों और समाज में लौटने के अवसरों को अपना रहे हैं।