बिलासपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता और पार्षद डॉ. विष्णु प्रसाद यादव ने पार्टी की तरफ से नामांकन फॉर्म खरीदा है. उन्होंने कहा कि देवेंद्र यादव योग्य हैं, लेकिन अंग्रेज भी बहुत योग्य हैं, तो क्या उन्हें देश में बुला लें? कांग्रेस ने भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को बिलासपुर से अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है. वे प्रचार में भी जुट गए हैं.
विष्णु यादव प्रदेश कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य भी हैं. आखिरी वक्त पर किनारे करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उनके साथ बार-बार अन्याय हो रहा है. पहले उनका नाम फाइनल हो गया, फिर दरकिनार कर दिया जाता है. इससे पहले भी मैं टिकट को लेकर विरोध जता चुका हूं.
विष्णु यादव ने दावा किया कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से उनकी बातचीत हुई है. उनकी सलाह पर फॉर्म खरीदने में कोई हर्ज नहीं है. कांग्रेस पार्टी में कुछ भी हो सकता है. जब तक कांग्रेस की ओर से बी फॉर्म नहीं आ जाता, वह अपनी दावेदारी के प्रयास करते रहेंगे.
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी एवं शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय पांडेय का कहना है कि फॉर्म रिजेक्ट हो जाएगा. अधिकृत प्रत्याशी घोषित होने के बावजूद कोई और पार्टी के सिंबॉल पर नामांकन फॉर्म भरता है, तो बी-फॉर्म आने के बाद अधिकृत प्रत्याशी के अलावा बाकी फॉर्म अपने आप निरस्त हो जाते हैं. विष्णु यादव से संगठन के स्तर पर चर्चा की जा रही है.
सियासी सरगर्मी के बीच कांग्रेस की संवाद एवं जनसंपर्क समिति के संयोजक धनेंद्र साहू बिलासपुर पहुंचे. उन्होंने जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में संगठन के नेताओं से बातचीत की. उन्होंने कहा कि अधिकृत प्रत्याशी घोषित होने के बाद कई बार ऐसी स्थिति आती है. टिकट के लिए बहुत से लोगों की अपेक्षा रहती है, इसलिए गुस्सा स्वाभाविक है लेकिन विष्णु यादव से मिलकर उन्हें मना लेंगे. वह पार्टी से बाहर नहीं जाएंगे.
धनेंद्र साहू ने कहा कि कोई पार्टी की तरफ से नामांकन फॉर्म खरीदता है तो यह अनुशासनहीनता की श्रेणी में नहीं आता. ऐसी परिस्थितियां सभी राजनीतिक दलों में होती हैं. नामांकन वापस लेने के अंतिम समय तक फॉर्म वापस ले लेने पर यह अनुशासनहीनता में नहीं आएगा.
इससे 19 दिन पहले भी देवेंद्र यादव को बाहरी बताकर विरोध जताया गया था. नगर पंचायत बोदरी के पूर्व अध्यक्ष जगदीश कौशिक कांग्रेस भवन के सामने धरने पर बैठ गए थे. उन्होंने अलग-अलग स्लोगन लिखकर पोस्टर चस्पा किया था.
हाथ से लिखे पोस्टर में मेरी तपस्या में क्या कमी रह गई. बिलासपुर से मुझे प्रत्याशी क्यों नहीं बनाया गया, जैसे सवाल भी किए थे. हालांकि बाद में पार्टी के नेताओं ने उन्हें मना लिया था.