बिलासपुर: कई लोगों की जान लेने का आरोपी डॉक्टर नरेंद्र जॉन कैम की न्यायिक रिमांड बिलासपुर पुलिस को मिली है. कोर्ट ने बिलासपुर पुलिस को एक दिन की न्यायिक रिमांड पर सौंपा है. कोर्ट में पुलिस ने सोमवार तक की न्यायिक रिमांड मांग थी लेकिन कोर्ट ने एक दिन की रिमांड दी. जस्टिस कृष्ण मुरारी शर्मा ने नरेंद्र जॉन कैम मामले में सुनवाई की. बिलासपुर पुलिस रिमांड अवधि में फर्जी डॉक्टर से पूछताछ करेगी. फर्जी डॉक्टर कैम से पूछताछ के लिए स्पेशल टीम का गठन किया गया है. एसएसपी ने स्पेशल टीम का गठन किया है.
पुलिस को मिली 1 दिन की रिमांड: वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत के मामले में मध्य प्रदेश की जेल से कथित फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि यादव ने 2006 में यहां एक निजी अस्पताल में शुक्ला का ऑपरेशन किया था, जिसके बाद पूर्व अध्यक्ष की मौत हो गई थी. कथित फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ को पहले मध्य प्रदेश के दमोह के एक अस्पताल में खराब सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत के मामले में गिरफ्तार किया गया था, वह वहां की जेल में बंद था.
नरेंद्र जॉन कैम: बिलासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने बताया कि यादव को गुरुवार को दमोह जिला जेल से हिरासत में लिया गया था और दोनों राज्यों की अदालतों से आवश्यक आदेश प्राप्त करने के बाद शुक्रवार सुबह यहां लाया गया. कोटा विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन कांग्रेस विधायक शुक्ला का अगस्त 2006 में बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था. वह 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर राज्य बनने से लेकर 2003 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष रहे थे. पूर्व स्पीकर के बेटे प्रदीप शुक्ला ने हाल ही में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जब उनके पिता को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब यादव उस निजी अस्पताल से जुड़े थे.
यादव ने मेरे पिता की हृदय शल्य चिकित्सा की थी, और फिर 20 अगस्त, 2006 को मृत घोषित किए जाने से पहले उन्हें 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया था. अस्पताल प्रबंधन ने मेरे पिता के इलाज के लिए राज्य सरकार से 20 लाख रुपये लिए थे: प्रदीप शुक्ला, पूर्व स्पीकर के बेटे
गैर इरादतन हत्या: बिलासपुर पुलिस ने 20 अप्रैल को यादव और निजी अस्पताल के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (धारा 304) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज किया. पुलिस ने पाया कि यादव की डिग्री फर्जी है, और भारतीय चिकित्सा परिषद/छत्तीसगढ़ चिकित्सा परिषद में उनका पंजीकरण अभी तक पता नहीं चल पाया है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को एक शिकायत मिलने के बाद यादव को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मिशन अस्पताल, दमोह में सात लोगों की मौत हो गई थी, जहां उन्होंने हृदय रोगों के इलाज के नाम पर मरीजों का ऑपरेशन किया था.