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फर्जी नियुक्ति के आरोप में घिरी शिक्षिका को बचाने में जुटी बिल्हा BEO! RTI से मिले दस्तावेज देखकर रह जाएंगे हैरान

फर्जी नियुक्ति के आरोप में घिरी महिला शिक्षिका चंद्ररेखा शर्मा को बचाने की विभागीय कवायद जारी है. मामले की जांच के लिए गठित टीम द्वारा स्पष्ट अभिमत के साथ रिपोर्ट सौंप देने के बाद भी महिला शिक्षिका के ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इससे साफ पता चलता है कि विभाग के अधिकारी महिला को बचाने में अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं, जिसकी पोल अब RTI के दस्तावेज खोल रहे हैं. शिकायतकर्ता हरेश बंजारे ने JD कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत चंद्रेखा शर्मा के विकासखंड बिल्हा में नियुक्ति संबंधी जानकारी और विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा द्वारा JD कार्यालय को प्रेषित कर स्पष्टीकरण पत्र और दस्तावेज की सत्यापित प्रतिलिपि मांगी थी? जिसके जवाब में RTI में जो दस्तावेज दिए गए हैं, उसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे. ऐसा लग रहा है जैसे BEO कार्यालय खुद को दांव पर लगाकर चंद्ररेखा शर्मा और फर्जी नियुक्ति के रैकेट को बचाना चाहता है. RTI में जो दस्तावेज सौंपे गए हैं, उस पर निगाह डालें तो पता चलता है कि विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिल्हा के पास अपनी कर्मचारी चंद्ररेखा शर्मा के दस्तावेज तक नहीं है और जो दस्तावेज चंद्ररेखा शर्मा ने BEO कार्यालय द्वारा मांगे जाने पर स्व-हस्ताक्षर करके प्रस्तुत किया, उसी को अंतिम सत्य मानकर JD कार्यालय को प्रस्तुत कर दिया और JD कार्यालय ने सूचना के अधिकार के तहत मांगे जाने पर हरेश बंजारे को दे दिया. जो दस्तावेज सौंपे गए हैं उसमें नियुक्ति आदेश में क्रमांक को ही मिटा दिया गया है और यही दस्तावेज RTI में दिए जा रहे हैं. इसी प्रकार पत्थलगांव कार्यकाल के CR की सत्यापित प्रतिलिपि जो दी गई है, उसमे ना तो यह पता चल रहा है कि यह किस सत्र का है और न ही कहीं पर तारीख लिखा है. यही नहीं विभाग का नाम अनुसूचित जाति कल्याण विभाग लिखा हुआ है, जबकि चंद्ररेखा शर्मा तथाकथित रूप से नगर पंचायत की कर्मचारी थी. सबसे मजेदार बात यह है कि चंद्र रेखा शर्मा के द्वारा स्कूल में कार्यभारग्रहण का कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है और ना ही विभाग के पास है इसी प्रकार किस खाते में वेतन भुगतान हुआ है. उसे मामले को भी लेकर उन्होंने चुप्पी साध रखा है. हालांकि JD कार्यालय द्वारा गठित जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में नियुक्ति को फर्जी करार देते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा कर दी है. लेकिन जिस प्रकार से जेडी कार्यालय और कार्यालय कर्मचारी का साथ दे रहे हैं वह आश्चर्यचकित करने वाला है.

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JD ने मांगा BEO से जवाब तो गोलमोल जवाब हुआ प्रस्तुत

शिकायतकर्ता के पत्र पर कार्रवाई करते हुए JD ने प्रभारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा सुनीता ध्रुव को पत्र जारी कर 12 बिंदुओं पर जानकारी और स्पष्ट अभीमत मांगा था लेकिन अभिमत नदारत है. अधिकांश जवाब में संबंधित के द्वारा जमा किए गए स्वहस्ताक्षरित दस्तावेज की छायाप्रति लिखकर जमा कर दिया गया है. यही नहीं ताज्जुब की बात है कि विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने यह लिख कर दिया है कि संविलियन पूर्व का कर्मचारी कोड संबंधित के द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है तो सवाल खड़ा यह होता है कि क्या सविलयन तक वेतन देने वाले BEO कार्यालय बिल्हा के पास चंद्ररेखा शर्मा का पुराना कर्मचारी कोड तक नहीं है और इतने महत्वपूर्ण मामले में आधा अधूरा दस्तावेज प्रस्तुत करने वाले विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा पर JD ने कोई प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए उन्हें कोई नोटिस जारी क्यों नहीं किया. कुल मिलाकर यह साफ नजर आ रहा है कि विभाग के उच्च अधिकारी फर्जी नियुक्ति के आरोप में बुरी तरह घिरी और जांच में साबित हो चुकी महिला शिक्षिका को बचाने में जुटे हुए हैं. इस संबंध में JD आर पी आदित्य से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनका जवाब नहीं मिल पाया है.

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