संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सर्विस परीक्षाओं में अब बायोमेट्रिक पहचान व्यवस्था को अनिवार्य करने जा रहा है. इसके साथ ही यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षाओं में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का उपयोग भी करेगा. यूपीएससी ने सिविल सर्विस परीक्षाओं में नकल समेत अन्य अनियमितताओं को रोकने के लिए ये नई व्यवस्था को अपनाने का फैसला लिया है, जो इसी साल से लागू होंगी.
क्यों लिया गया फैसला
यूपीएससी ने पूजा खेडकर का मामला सामने आने के बाद ये फैसला लिया है. पूजा खेड़कर पूर्व आईएएस प्रोबेशनर हैं, जिन्हें जालसाजी और कदाचार के आरोपों के बाद पिछले साल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.असल में यूपीएससी ने जुलाई 2024 में सीएसई 2022 के लिए खेडकर की उम्मीदवारी को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि वह परीक्षा में बैठने के लिए निर्धारित अधिकतम प्रयासों से अधिक बार परीक्षा में शामिल हुई थीं.
इसके लिए उन्होंने खुद और अपने माता-पिता के अलग-अलग नामों से आवेदन किया था. इसके बाद डीओपीटी ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया. खेडकर ने आरोपों से इनकार किया है और अदालत में फैसले को चुनौती दी है. पूजा खेड़कर का मामला सामने आने के बाद यूपीएससी ने साल 2009 से साल 2023 तक सिविल सर्विस परीक्षा में शामिल हुए 15,000 से अधिक अभ्यर्थियों के डेटा की जांच की थी.
इसी साल जून से लागू होगी नई व्यवस्था
यूपीएससी की तरफ से आयोजित की जाने वाली सिविल सर्विस परीक्षाओं में बायोमेट्रिक आधारित पहचान ओर एआई का प्रयोग इसी साल जून से लागू किया जाना है. हालांकि सिविल सर्विल प्रीलिम्स परीक्षा 2025 में ये व्यवस्था लागू नहीं होगी. प्रीलिम्स परीक्षा 25 मई को आयोजित होनी है.
असल में यूपीएससी केंद्र सरकार में ग्रुप ए और ग्रुप बी के निर्धारित पदों पर भर्ती के लिए 14 प्रमुख परीक्षाओं के साथ-साथ भर्ती परीक्षा और साक्षात्कार आयोजित करता है. जिसमें एनडीए, फारेस्ट ऑफिसर समेत कई महत्वपूर्ण परीक्षाएं शामिल हैं;
नई व्यवस्था में क्या होगा
यूपीएससी सिविल सर्विसे परीक्षाओं में बायोमेट्रिक आधारित पहचान व्यवस्था लागू करने जा रहा है. इस नई व्यवस्था के तहत परीक्षाओं में शामिल अभ्यर्थियों के फिंगरप्रिंट का प्रमाणीकरण किया जाएगा. इसके चेहरे की पहचान और ई-एडमिट कार्ड को क्यूआर कोड के साथ स्कैन करने और नकल रोकने के लिए परीक्षा के दौरान एआई-आधारित सीसीटीवी निगरानी की जानी है.