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मणिपुर हिंसा के बीच संकट में बीरेन सरकार, NPP के समर्थन वापस लेने से BJP दो धड़ों में बंटी

मणिपुर हिंसा की आग में अब एन बीरेन सिंह की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार झुलसती नजर आ रही है. बीजेपी सरकार पर सियासी संकट कम होता नहीं दिख रहा है. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है. राज्य की स्थिति का आंकलन करने के लिए सीएम बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को बुलाई गई अहम बैठक में 37 में से 19 बीजेपी विधायक नहीं शामिल हुए. मैतेई समाज से आने वाले एक कैबिनेट मंत्री भी बैठक में शिरकत नहीं किए. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या मणिपुर में बीजेपी दो धड़ों में बंट गई है?

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मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जातीय संघर्ष के चलते ही सीएम बीरेन सिंह पहले से बैकफुट पर हैं. राज्य की स्थिति का आंकलन करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बीजेपी और एनडीए में उसके सहयोगी दलों के सभी मंत्रियों व विधायकों को बैठक का निमंत्रण भेजा गया था. बावजूद इसके बीजेपी के 19 विधायक बैठक में शामिल नहीं हुए. जिसमें कुकी और मैतेई दोनों ही समुदाय के विधायक शामिल हैं. इसके बाद सीएम बीरेन सिंह की सियासी टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि एनपीपी ने पहले ही बीरेन सरकार से समर्थन खींच लिया है.

BJP विधायकों की गैर मौजूदगी ने बढ़ाई टेंशन

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को बैठक बुलाई गई, जिसमें एनडीए के कुल 53 विधायकों में से सिर्फ 27 विधायक शामिल हुए. इनमें से 18 बीजेपी के, चार-चार एनपीपी और एनपीएफ के और एक निर्दलीय विधायकों ने बैठक में शिरकत की. सीएम की बैठक में बीजेपी के 19 विधायकों ने हिस्सा नहीं लिया. इनमें सात कुकी विधायक भी शामिल थे, जो पिछले साल 3 मई से बैठक से दूरी बनाए रखे हुए हैं.

सीएम की बैठक से गैर-मौजूद रहने वालों में 12 बीजेपी विधायक थामिल थे, जिसमें प्रमुख रूप से ग्रामीण विकास मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह थे. इनमें से तीन विधायक ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण बैठक में शामिल न हो पाने की सूचना पहले ही दे दी थी, जबकि बाकी 9 विधायक बिना कोई कारण बताए बैठक में शामिल नहीं हुए. एनडीए के अन्य सहयोगियों में एनपीपी के दो और एनपीएफ के एक विधायक बैठक में शिरकत नहीं किए. सीएम बीरेन की बैठक से 19 विधायकों के नदारद रहने के चलते बीजेपी सरकार पर संकट गहरा गया.

क्या है मणिपुर विधानसभा में राजनीतिक दलों की स्थिति?

मणिपुर के 60 सदस्यीय विधानसभा में 37 विधायक बीजेपी के, सात एनपीपी के, पांच एनपीएफ के, एक जेडी(यू) के और तीन निर्दलीय विधायक हैं. इसके अलावा कांग्रेस के पांच और कुकी पीपुल्स अलायंस के 2 विधायक हैं. एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने बीरेन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी अब सीएम बीरेन सिंह पर भरोसा नहीं रखती है और नेतृत्व में बदलाव होने पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी. इसके बाद अब 19 विधायक सीएम की बैठक से शिरकत नहीं करना एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.

कांग्रेस ने बीजेपी साधा निशाना

मणिपुर में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को लेकर जिस तरह पहले एनडीए और अब बीजेपी विधायकों ने अपने तेवर दिखाकर पार्टी नेतृत्व की सियासी टेंशन बढ़ा दी है. बीजेपी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मणिपुर विधानसभा में कुल 60 विधायक हैं, लेकिन बैठक में सिर्फ 26 विधायक ही शामिल हुए हैं. दीवार पर लिखी इबारत बिल्कुल साफ है, लेकिन क्या मणिपुर के बड़े सूत्रधार-केंद्रीय गृह मंत्री इसे पढ़ रहे हैं, जिन्हें पीएम ने राज्य की सारी ज़िम्मेदारी सौंप दी है और आउटसोर्स कर दिया है?

मुख्यमंत्री बदलने का दबाव बढ़ा

बीरेन सरकार से एनपीपी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मौजूदा सीएम से समर्थन वापस लेने के लिए पत्र लिख चुके हैं. अब बीजेपी विधायक भी खुलकर सीएम बीरेन सिंह के खिलाफ उतर गए हैं. ऐसे में बीजेपी नेतृत्व पर मुख्यमंत्री बदलने का दबाव बढ़ गया है. मणिपुर हिंसा के दौरान से ही बीरेन सिंह को हटाने की बात विपक्ष से लेकर सत्तापक्ष के सहयोगी दल भी कर रहे थे, लेकिन बीजेपी शीर्ष नेतृत्व का आशीर्वाद बीरेन सिंह को प्राप्त था. ऐसे में अब यह टेंशन बढ़ गई है.

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