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सांप ने काटा, 5 दिनों तक आंखों की रोशनी तक चली गई, अब जिताया भारतीय हॉकी टीम को पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज

भारतीय मेंस हॉकी टीम के लिए पेरिस ओलंपिक काफी यागदार रहा. भारत ने ब्रॉन्ज मेडल मैच में स्पेन को 2-1 से हराकर ओलंपिक के इतिहास का 13वां मेडल अपने नाम किया. वहीं, 52 साल बाद भारतीय हॉकी टीम ने लगातार 2 ओलंपिक मेडल जीतने का कारनामा भी किया. लेकिन क्या आप जानते हैं, पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के ब्रॉन्ज मेडल, 2011 में टीम इंडिया के क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने और 2014 में जर्मनी का वर्ल्ड कप फुटबॉल जीतने में एक अजीब सी समानता है. वो है माइक हॉर्न का नाम. ये वो शख्स ने जिन्होंने इन तीनों जीत में अहम योगदान दिया है.

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कौन हैं खेल के असली जादूगर माइक हॉर्न?

भारत ने 2011 में 28 साल के बाद क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था.वहीं, जर्मनी ने 24 साल के इंतजार के बाद फीफा वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अपने नाम की थी. इस बार पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने इतिहास रचा. बता दें, माइक हॉर्न ने इन तीनों टीमों के लिए काम किया है. साउथ अफ्रीका में जन्मे 47साल के हॉर्न स्विस खोजी और एडवेंचर्स हैं और खिलाड़ियों के उत्साहवर्द्धन कराने का काम करते हैं.

भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक से पहले माइक हॉर्न से ट्रेनिंग ली थी. हरमनप्रीत सिंह और उनकी टीम तीन दिवसीय बूट-कैंप के लिए स्विट्जरलैंड गई थी, जिसने भारतीय खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ाने का काम किया. माइक हॉर्न के ये मार्गदर्शन भारतीय हॉकी टीम के काफी काम आया, जिसके चलते वह एक बार फिर ब्रॉन्ज मेडल जीतने में कामयाब रही. तीन दिन के इस कैंप के दौरान खिलाड़ियों ने स्विट्जरलैंड के बर्नीज ओबरलैंड क्षेत्र के एक गांव सानेन में पहली रात बिताई थी. वहीं, दूसरे दिन में रूजमोंट तक साइकिल चलाई, केबल कार की सवारी की और वाया फेराटा पर चढ़ाई भी की. तीसरे दिन रॉसिनियर तक साइकिल चलाई और रात को एक देहाती फार्म में बिताया.

 

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सांप के काटने से चली गई थी आंखों की रोशनी

माइक हॉर्न 2001 में एक्वेटर के चारों ओर बिना किसी मोटर ट्रांसपोर्ट के एक साल, 6 महीने की अकेले यात्रा पूरी करने के बाद सुर्खियों में आए थे. 2004 में उन्होंने आर्कटिक सर्कल की दो साल, 3 महीने की अकेले परिक्रमा पूरी की. 2006 में, नॉर्वेजियन खोजकर्ता बोरगे ओसलैंड के साथ , सर्दियों के दौरान स्थायी अंधेरे में, कुत्ते या मोटर चालित परिवहन के बिना उत्तरी ध्रुव की यात्रा करने वाले पहले व्यक्ति बन गए थे. हॉर्न ने साउथ अफ्रीका की स्पेशल फोर्स के साथ अंगोला के गुरिल्ला युद्ध में दो साल की सैन्य सेवा की. फिर, अमेजन पर अपने पहले प्रमुख अभियान से पहले, वह जंगल में जीवित रहने के बारे में सीखने के लिए मनौस में ब्राजील के विशेष बलों में शामिल हो गए थे. यहां उन्हें सांप ने कांट लिया था, जिसके चलते 5 दिनों तक उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बावजूद उन्होंने इस दल के साथ ट्रेनिंग की थी.

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