केरल सरकार द्वारा आयोजित ग्लोबल अयप्पा संगम में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को मुख्य अतिथि बनाने के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह ऐसा ही है जैसे ओसामा बिन लादेन को शांति का दूत घोषित करना।
भाजपा नेताओं का आरोप है कि स्टालिन और उनकी पार्टी डीएमके ने हमेशा हिंदू आस्थाओं का अपमान किया है। ऐसे में उन्हें अयप्पा संगम जैसे धार्मिक आयोजन में मुख्य अतिथि बनाना भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम है। पार्टी का कहना है कि केरल सरकार जानबूझकर धार्मिक आयोजनों में राजनीति कर रही है।
बीजेपी प्रवक्ताओं ने सवाल उठाते हुए कहा कि जिन नेताओं ने सबरीमाला और अयप्पा भक्तों की आस्था पर चोट की, उन्हें ही अब धार्मिक कार्यक्रम में सम्मानित करना श्रद्धालुओं का अपमान है। पार्टी ने इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
वहीं, केरल सरकार का कहना है कि कार्यक्रम का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देना है। एमके स्टालिन को इस आयोजन में इसलिए बुलाया गया है ताकि दक्षिण भारत की साझा संस्कृति और परंपरा को मजबूत संदेश दिया जा सके।
यह विवाद अब राजनीतिक रूप से भी गर्मा गया है। जहां विपक्ष इस मुद्दे को हिंदू आस्था से जोड़कर सरकार पर हमलावर है, वहीं समर्थक इसे सामाजिक सौहार्द की दिशा में उठाया गया कदम बता रहे हैं।