क्रिकेटर मोहम्मद शमी मौलानाओं के निशाने पर हैं. इसकी वजह बताई जा रही कि मोहम्मद शमी ने रमजान के दौरान रोजे नहीं रखे. विवाद की शुरुआत तब हुई जब बीते दिनों दुबई में ऑस्ट्रेलिया से मैच के दौरान शमी ग्राउंड पर एनर्जी ड्रिंक पीते नजर आए. इसको लेकर यूपी के बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि जो मुस्लिम व्यक्ति स्वस्थ होने के बावजूद जानबूझकर ‘रोजा’ नहीं रखता है, तो वह एक बड़ा गुनहगार होता है. मौलाना शहाबुद्दीन के इस बयान के बाद माहौल गरमा गया और कई नेता व धर्मगुरु शमी के समर्थन में उतर आए.
यूपी बीजेपी के नेता और प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने इस मामले पर कहा कि आस्था किसी भी व्यक्ति का निजी मसला होता है. आप किसी दूसरे की आस्था को ठेस मत पहुंचाइये, बाकी प्रार्थना, पूजा पद्धति, इबादत, व्रत-अनुष्ठान या नमाज रोजे का पालन करना है अथवा नहीं यह आप खुद की मर्जी पर तय कर सकते हैं. कोई मुल्ला, मौलवी, मुफ्ती, उलेमा, साधु-संत या पंडित जी तय नहीं करेंगे.
बकौल राकेश त्रिपाठी- ‘नवरात्रि/जन्माष्टमी का व्रत रखने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जाता. गुनहगार नहीं माना जाता. तो फिर किसी को रोजे ना रखने पर गुनहगार कैसे बनाया जा सकता है. मौलाना की दादागिरी नहीं चलेगी.’
वहीं, बीजेपी नेता मोहसिन रजा ने कहा कि ये बंदे और अल्लाह के बीच का मामला है. इसमें मुल्लाह को बोलने की जरूरत नहीं. शमी देश के लिए खेल रहे हैं. मुल्लाह को इस्लाम के बारे में पता नहीं है. शमी राष्ट्र धर्म के लिए गए हैं. सफर में रोजा न रखने की छूट है. धर्म के साथ-साथ शमी राष्ट्रधर्म भी निभा रहे हैं. शमी और अल्लाह के बीच मुल्लाह घुस गया है. मुल्लाह माफी मांगे.
वहीं, मौलाना शहाबुद्दीन द्वारा इंडियन क्रिकेटर मोहम्मद शमी के रोजा ना रखने पर की गई टिप्पणी को लेकर ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा है कि ये बयान सस्ती पब्लिसिटी के लिए दिया गया है. हर मुसलमान रोजा रखता है. लेकिन इस्लाम में जबरदस्ती का कोई नियम नहीं है. किसी पर कोई नियम थोपा नहीं जा सकता. जहां जबरदस्ती है वहां मजहब नहीं है. अगर कोई शख्स मुल्क के लिए खेल रहा है तो आप कैसे कह सकते हैं कि वो रोजे से है या नहीं. वो अपने रोजे को बाद में भी अदा कर सकता है.
बरेली के मौलाना का बयान
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा था- “अनिवार्य कर्तव्यों में से एक है रोज़ा (उपवास)… अगर कोई स्वस्थ पुरुष या महिला रोज़ा नहीं रखता है, तो वह बड़ा गुनहगार है. भारत के एक प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद शमी ने मैच के दौरान पानी या कोई अन्य पेय पदार्थ पी लिया. लोग उन्हें देख रहे थे. अगर वह खेल रहे हैं, तो इसका मतलब है कि वह स्वस्थ हैं. ऐसी हालत में उन्होंने रोजा नहीं रखा और पानी भी पी लिया… इससे लोगों में गलत संदेश जाता है. रोजा न रखकर उन्होंने गुनाह किया है. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. शरीयत की नजर में वह अपराधी हैं. उन्हें खुदा को जवाब देना होगा.”
शमी के भाई ने कही ये बात
वहीं, इस पूरे मामले में मोहम्मद शमी के चचेरे भाई डॉ. मुमताज, जो अमरोहा में रहते हैं, ने कहा- “वह देश के लिए खेल रहे हैं. कई पाकिस्तानी खिलाड़ी हैं जिन्होंने ‘रोजा’ नहीं रखा है और मैच खेल रहे हैं, इसलिए यह कोई नई बात नहीं है. यह बहुत शर्मनाक है कि उनके बारे में ऐसी बातें कही जा रही हैं. हम मोहम्मद शमी से कहेंगे कि वह इन बातों पर ध्यान न दें और 9 मार्च को होने वाले मैच की तैयारी करें.”