इटावा : उत्तर प्रदेश की राजनीतिक गलियों में उस समय हलचल तेज हो गई जब भाजपा विधायक सरिता भदौरिया ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर धर्मगुरुओं के अपमान का आरोप लगाया.यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक पोस्ट से शुरू हुआ, जिसमें मुस्लिम मौलवी साजिद रशीदी और हिंदू संत अनिरुधाचार्य के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया था.भदौरिया ने इस पोस्ट को साझा करते हुए सपा पर निशाना साधा, जिससे महिलाओं के खिलाफ विवादित बयानों और विधायक की आलोचना का मुद्दा भी सुर्खियों में आ गया.
विवादित टिप्पणियों की पृष्ठभूमि और उनकी गंभीरता
मामले की जड़ में वह सोशल मीडिया पोस्ट है जिसे एक यूजर पत्रकार अमित यादव ने साझा किया था.इस पोस्ट में मौलाना साजिद रशीदी को “कटमुल्ला” और अनिरुधाचार्य को “पोंगा पंडित” जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया गया था.ये टिप्पणियां इन दोनों धार्मिक हस्तियों द्वारा दिए गए पूर्व के विवादित बयानों के संदर्भ में थीं.
मौलाना साजिद रशीदी ने सपा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी, डिंपल यादव को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा था, “पीठ के पीछे देखो डिंपल बिल्कुल नंगी दिख रही है.” इसी तरह, संत अनिरुधाचार्य ने भी महिलाओं को लेकर एक विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था, “25 साल की लड़की पहले ही चार जगह मुंह मार के आई होगी तभी तो यह पतियों की हत्याएं हो रही हैं.” ये दोनों ही बयान महिलाओं के सम्मान और समाज में उनकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठाते हैं.
भाजपा का सपा पर हमला और “तुष्टिकरण की राजनीति” का आरोप
भाजपा विधायक सरिता भदौरिया ने इन विवादित पोस्ट्स को साझा करते हुए सपा पर तीखा हमला बोला.उन्होंने आरोप लगाया कि सपा समर्थित लोग इस प्रकार की भाषा का प्रयोग कर न केवल धर्मगुरुओं का अपमान कर रहे हैं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं को भी ठेस पहुंचा रहे हैं.भदौरिया ने इसे “सपा की तुष्टिकरण की राजनीति का उदाहरण” बताया और कहा कि सपा अब धर्म विरोधी मानसिकता को बढ़ावा दे रही है.यह आरोप सीधे तौर पर सपा की राजनीतिक विचारधारा और उनके समर्थन आधार पर सवाल उठाता है.
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस मुद्दे पर सपा की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक इसे आगामी चुनावों में धर्म और भावनाओं पर आधारित राजनीति का एक महत्वपूर्ण मुद्दा मान रहे हैं.सोशल मीडिया पर भी इस पोस्ट को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.कई लोग धार्मिक सौहार्द्र बनाए रखने की अपील कर रहे हैं, जबकि कुछ ने सत्ताधारी पार्टी पर मुद्दों से भटकाने का आरोप भी लगाया हैं.