उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले से बिना नोटिस दिए सालों पुराने मंदिर को तोड़ने का मामला सामने आया है. यह मंदिर नेशनल हाईवे 28 पर विकास भवन कार्यालय से सटा हुआ था. सालों पुराने इस मंदिर को प्रशासन ने सोमवार रात बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया. मंदिर में हनुमानजी, भगवान श्रीराम और मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजमान थीं. स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने न तो कोई पूर्व सूचना दी और न ही धर्मगुरुओं से बात की.
अचानक हुई इस कार्रवाई से क्षेत्र में आक्रोश फैल गया. बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के सैकड़ों कार्यकर्ता मौके पर पहुंचकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इस दौरान उन्होंने मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग उठाई. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डुमरियागंज सांसद जगदंबिका पाल और नगर पालिका अध्यक्ष गोविंद माधव भी मौके पर पहुंचे. सांसद पाल ने प्रशासन की कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा कि बिना धर्मगुरुओं को बताए मंदिर पर बुलडोजर चलाना असंवैधानिक है.
साफ-सफाई के लिए तोड़ी गई बाउंड्री वॉल
उन्होंने कहा कि इस मंदिर से सैकड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई थी. नवरात्र की पूर्व संध्या पर मंदिर का ध्वस्तीकरण लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है. वहीं, इस मामले पर जिलाधिकारी राजा गणपति आर ने कहा कि विकास भवन की बाउंड्री वॉल पर दुर्गा जी फोटो बनी हुई थी. वहां पर गंदगी होती थी जिससे देवी देवताओं का अपमान होता था. इसी लिए बाउंड्री वॉल को तोड़ दिया गया है. साफ-सफाई कराई जा रही है. फिर वहां पर मूर्ति विस्थापित की जाएगी.
मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग पर अड़े लोग
जिलाधिकारी ने कहा कि किसी की आस्था को ठेस पहुंचाने का मेरा मकसद नही था. शाम तक जिला प्रशासन गुस्साए लोगों को मनाने में लगा रहा. इस दौरान मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है और लोग मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर धरने पर बैठे है. मंदिर तोड़ने की घटना को लेकर स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा है. वह जल्द से जल्द दोबारा मंदिर बनाने की मांग कर रहे हैं.