भाजपा उपाध्यक्ष संजय भावनानी को मिली अग्रिम जमानत, वकील का दावा- झूठे केस में फंसाया जा रहा

कोरबा: पाली पुलिस थाना में दर्ज मामले में आरोपी संजय भवनानी को माननीय उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश की एकल पीठ ने अग्रिम जमानत प्रदान की है. इस मामले की सुनवाई अधिवक्ता आशुतोष पांडेय द्वारा की गई, जिन्होंने संजय भवनानी की ओर से पैरवी करते हुए याचिका प्रस्तुत की.

अधिवक्ता ने लगाए शिकायत पर सवाल

आशुतोष पांडेय ने अदालत में तर्क दिया कि शिकायतकर्ता संध्या सिंह ठाकुर द्वारा लगाए गए आरोप विधि सम्मत नहीं हैं और झूठे तथ्यों पर आधारित हैं. उन्होंने कहा कि घटना के समय संजय भवनानी घटना स्थल पर नहीं थे बल्कि पाली पुलिस स्टेशन में मौजूद थे, जिसका प्रमाण पुलिस द्वारा प्रस्तुत फाइल चालान के दस्तावेजों से स्पष्ट होता है.

आरोपों के पीछे छुपा रहा राजनीति का खेल

अधिवक्ता ने यह भी कहा कि संजय भवनानी को झूठे केस में फंसाया गया क्योंकि शिकायतकर्ता के बेटे और भाई पर 28 मार्च 2025 को पाली में हुए अनूप उर्फ रोहित जायसवाल हत्या मामले में आरोप लगाए गए हैं. वे मर्डर केस के आरोपी होने के साथ-साथ संजय भवनानी के समर्थक भी माने जाते हैं। इस हत्या के बाद संजय भवनानी सहित अन्य पर एक के बाद एक एफआईआर दर्ज की गईं ताकि मर्डर के आरोपियों को बचाया जा सके.

एक साथ कई जगहों पर होने का सवाल

अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि संजय भवनानी पूरी तरह निर्दोष हैं और एक ही समय पर पांच अलग-अलग स्थानों पर अपराध करना संभव नहीं है। इस तर्क को सुनने के बाद भी शासन और शिकायतकर्ता के पक्षकार ने अग्रिम जमानत पर आपत्ति जताई.

माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा ने दोनों पक्षों के तर्कों को ध्यानपूर्वक सुनने के बाद संजय भवनानी को अग्रिम जमानत का लाभ देने का आदेश दिया. इस निर्णय के साथ संजय भवनानी को राहत मिली है और वे अब कानूनी प्रक्रिया के तहत अपनी सफाई पेश कर सकेंगे.

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