मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने नेताओं की विवादास्पद बयानबाजी से हो रही किरकिरी से परेशान है। सांसदों और विधायकों के सार्वजनिक बयानों से सरकार और पार्टी की छवि धूमिल होने के चलते BJP अब उन्हें बोलने का प्रशिक्षण देने की योजना बना रही है।
यह प्रशिक्षण जून 2025 में शुरू हो सकता है। पार्टी संगठन स्तर पर इस दिशा में मंथन चल रहा है। BJP पहले भी विधायकों को विधानसभा सत्रों और बैठकों में विवादित बयानों से बचने की नसीहत देती रही है, लेकिन हाल के विवादों ने प्रशिक्षण की जरूरत को उजागर किया है।
विवादों ने बढ़ाई पार्टी की मुश्किलें
हाल ही में जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने महू में एक सभा में सैन्य अधिकारी सोफिया कुरैशी और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि आतंकियों ने हिंदुओं को नंगा कर मारा, तो PM मोदी ने उनकी बहन को भेजकर बदला लिया। इस बयान ने पार्टी को असहज कर दिया।
नेताओं की बयानबाजी से किरकिरी
चिंतामणि मालवीय: विधायक ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र में किसानों की जमीन अधिग्रहण पर अपनी ही सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाए।
नरेंद्र शिवाजी पटेल: राज्यमंत्री ने 2024 में बेटे के मारपीट मामले में भोपाल के शाहपुरा थाने में हंगामा किया। हाल ही में ग्वालियर के एक होटल में उनके हंगामे का वीडियो वायरल हुआ।
प्रहलाद पटेल: मंत्री ने एक कार्यक्रम में आवेदन लेकर आने वाली जनता को भिखारी कहकर विवाद खड़ा किया।
नागर सिंह चौहान: वन विभाग छिनने से नाराज मंत्री ने अपनी सरकार और पार्टी को खुली चुनौती दी।
प्रशिक्षण से अनुशासन की उम्मीद
BJP का मानना है कि प्रशिक्षण से सांसद-विधायक सार्वजनिक मंचों पर संयमित और जिम्मेदार बयानबाजी करेंगे। पार्टी चाहती है कि नेता विपक्ष को घेरें और सरकार की उपलब्धियों को मजबूती से रखें, न कि अपनी ही सरकार पर सवाल उठाएं। इस कदम से पार्टी अपनी छवि को और मजबूत करने की कोशिश में है।