शहर में सफाई व्यवस्था का मुद्दा उठाकर भाजपा पार्षद ने सभापति के पति पर काली स्याही फेंक दी। इसके बाद हंगामा बढ़ गया। पुलिस ने आरोपी पार्षद को डिटेन कर लिया। यह घटना गुरुवार को नागौर नगर परिषद की साधारण सभा की बैठक में हुई। सभापति मीतू बोथरा के पति नवरत्न बोथरा भी पार्षद हैं। हंगामे के आसार पहले से थे, इसलिए पुलिस मौजूद थी।
गुरुवार को पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के नगर परिषद सभागार में बैठक शुरू हुई। शुरू से ही बैठक में तनाव का माहौल बन गया। नगर परिषद की वित्त कमेटी के अध्यक्ष और सभापति के पति नवरत्न बोथरा ने बैठक के एजेंडों पर बात शुरू की तो पार्षद भरत टांक, मनीष कच्छावा और गोविंद कड़वा भड़क गए।
भरत टांक ने कहा- नगर परिषद की कार्य शैली से नाराज होकर पिछले दिनों 24 पार्षद इस्तीफा दे चुके हैं। नगर परिषद को अपनी कार्य शैली में सुधार करना चाहिए। बोर्ड के सभी पार्षदों के वार्डों में सफाई व्यवस्था और अन्य विकास कार्य करवाने चाहिएं।
इस पर नवरत्न बोथरा ने कहा- आज की बैठक में आज के एजेंडों पर ही बात करेंगे।
इस जवाब के बाद दोनों पक्षों में बहस हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि पार्षद भरत टांक ने नवरत्न बोथरा पर काली स्याही फेंक दी। मीटिंग में ही दोनों पक्ष मारपीट पर उतारू हो गए। इसी बीच वरिष्ठ पार्षदों ने बीच बचाव कर दोनों को अलग-अलग किया। कोतवाली थाना पुलिस पार्षद भरत टांक को बैठक से बाहर ले गई और हिरासत में ले लिया।
सभापति बोलीं- कठोर कार्रवाई की जाएगी
घटना को लेकर सभापति नीतू बोथरा ने कहा- बैठक में पूरे हंगामा के बीच सक्रिय पार्षदों ने ध्वनि मत से एजेंडा पास कर दिया। यह बात कुछ पार्षदों को जमी नहीं। उन्होंने हंगामा कर दिया। स्याही फेंकने वाले पार्षदों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।
नवरत्न बोथरा बोले- मुझे कमजोर करने की कोशिश
सभापति के पति पार्षद नवरत्न बोथरा ने कहा- भाजपा और कांग्रेस के कुछ पार्षद काफी समय से नगर परिषद के कार्यों को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे। आज भी बैठक में जब एजेंडों पर बात करनी चाही तो उन्होंने बेवजह हंगामा शुरू कर दिया। नागौर नगर परिषद के इतिहास में पहली बार पार्षदों का ऐसा निम्न स्तर का आचरण देखा गया है।
बोर्ड की मीटिंग का संचालन बोर्ड के बहुमत के आधार पर होता है। अपनी बात कहने का अधिकार सभी को है। लेकिन वे काम बाधित कर रहे हैं। उसी की परिणति है आज की ये घटना। स्याही फेंकने से बोर्ड की गरिमा भंग हुई है। मीटिंग में विवाद हो जाता है, आरोप-प्रत्यारोप चलते हैं। भरत टांक हों या फिर कोई भी पार्षद हो। गरिमा बरकरार रहनी चाहिए।
हालांकि सभी एजेंडे बहुमत से पास हो गए हैं। इस्तीफा देने वाले 24 में से 3 पार्षदों ने इस्तीफा वापस ले लिया है। आज के मुद्दे पर जिलाध्यक्ष संज्ञान लेंगे।
पहले से आशंका थी-हंगामा होगा
आज नागौर नगर परिषद की साधारण सभा के हंगामेदार होने का पहले से ही अनुमान था। इस कारण से कार्यवाहक आयुक्त एसडीएम गोविंद सिंह भींचर ने पुलिस सुरक्षा मांग ली थी। ऐसे में नगर परिषद की साधारण सभा की बैठक कोतवाली और सदर थाना पुलिस के साथ ही आरएसी के जवानों की तैनाती की गई थी।
पार्षदों ने डाक से भेजे थे इस्तीफे
बता दें कि लंबे समय से सभापति के विरोधी पार्षदों का गुट मुखर रहा है। नगर परिषद के 24 पार्षदों ने पहले ईमेल और फिर डाक के जरिए सभापति मीतू बोथरा को इस्तीफे भेजे थे। इस्तीफे भेजने वालों में भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद शामिल थे।
सभापति के विरोधी गुट ने 9 जून को कलेक्टर के समक्ष सभापति मीतू बोथरा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन भाजपा आलाकमान की समझाइश के बाद भाजपाई पार्षद 27 जून को अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा में शामिल नहीं हुए थे। जिस वजह से अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था।
27 जून को ही विरोधी गुट के पार्षदों ने इस्तीफे देने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। उसी दिन पार्षदों ने मौके पर ही कार्यवाहक ईओ से इस्तीफों को वेरिफाई करवा लिया था। नियमानुसार पार्षदों के इस्तीफे सभापति को ही सौंपे जा सकते हैं, लेकिन उस दिन के पार्षदों की सभापति से मुलाकात नहीं हो सकी। इसलिए अविश्वास प्रस्ताव गिरने के 12 दिन बाद 24 पार्षदों ने सभापति को भारतीय डाक सेवा के जरिए इस्तीफे भेज दिए।
इस्तीफा देने वाले 24 पार्षदों में उपसभापति सदाकत सुलेमानी, पार्षद शोभा कंवर भाटी, अजीजुदीन अंसारी, जावेद खान, तौफीक खान, नौशाद बागवान, सरोज ओड, सायदा बानो, अफरोज जहां, चंद्रकांता सोनगरा, शिवरी देवी, कैलाशी मेघवाल, सरीन बानो, अजहरुद्दीन, आसी देवी, बसंती, केकई, जगदीश रामपाल कुरड़िया, मुजाहिद इस्लाम, आरिफा बानो, भजन सिंह, धर्मेंद्र पंवार और पायल गहलोत शामिल थे।