सुपौल में खाद्यान्न कालाबाजारी करना डीलर को पड़ गया महंगा, विभाग ने उठाए बड़े कदम

सुपौल: प्रखंड क्षेत्र में जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है. ताजा मामला नगर परिषद क्षेत्र के डपरखा से जुड़ा है, जहां खाद्यान्न की कालाबाजारी के आरोप में पीडीएस विक्रेता मिश्रीलाल सरदार पर केस दर्ज किया गया है. प्रखंड प्रभारी आपूर्ति निरीक्षक ओम प्रकाश ने थाने में आवेदन देकर मिश्रीलाल सरदार अनुज्ञप्ति संख्या 98/2016 के खिलाफ मामला दर्ज कराया है.

उन्होंने बताया कि खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, पटना के पत्रांक 2141 के आलोक में जीरो आफिस डे के तहत पीडीएस परख एप के माध्यम से सभी पीडीएस विक्रेताओं की जांच का निर्देश दिया गया था. इसी क्रम में तत्कालीन आपूर्ति निरीक्षक शुभम झा द्वारा डपरखा पंचायत स्थित विक्रेता मिश्रीलाल सरदार की दुकान की जांच की गई. जांच में सामने आया कि ई-पाश स्टाक रिपोर्ट के अनुसार दुकान में 150.52 क्विंटल चावल एएवाई और पीएचएच एवं 129.35 क्विंटल गेहूं एएवाई और पीएचएच मौजूद होना चाहिए था. कुल मिलाकर 279.87 क्विंटल खाद्यान्न गोदाम में होना चाहिए था. हालांकि मौके पर गोदाम पूरी तरह खाली पाया गया. परख एप पर जांच के दौरान ली गई तस्वीरें भी इसका प्रमाण हैं. जब विक्रेता से कारण पूछा गया, तो उन्होंने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया, न ही यह बताया कि खाद्यान्न कहां गया. इससे यह स्पष्ट हुआ कि विक्रेता द्वारा सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए अनुदानित खाद्यान्न की कालाबाजारी कर दी गई है.

यह कृत्य न केवल बिहार लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2016 की शर्तों का उल्लंघन है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल रिट याचिका संख्या 196/01 में पारित आदेश तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के भी प्रतिकूल है. साथ ही, यह कार्य आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 03 का उल्लंघन है, जो कि धारा 07 के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. क्षेत्र में यह मामला जन वितरण प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर रहा है. थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि केस दर्ज कर पुलिस आगे की कार्यवाही में जुटी हुई है.

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