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ब्लड मनी’… एक मात्र सहारा जो यमन में फांसी से बचा सकता है केरल की नर्स निमिषा प्रिया को, जानिए फंदे तक पहुंचने की पूरी कहानी 

केरल के पलक्कड़ की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया यमन की जेल में मौत की सजा का सामना कर रही हैं. 2017 में निमिषा पर एक यमन नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप लगा. मामला यमन के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां निमिषा को फांसी की सजा सुनाई गई. इसके बाद नवंबर 2023 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद से भी उनको राहत नहीं मिली और निमिषा की अपील खारिज कर दी गई. यमन के राष्ट्रपति रशद मुहम्मद अल-अलीमी ने भी इसे मंजूर कर दिया है. ऐसे में अब उनकी जिंदगी बचाने का एक आखिरी रास्ता है – ब्लड मनी.

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कौन हैं निमिषा प्रिया?  

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 2008 में निमिषा जब 19 साल की थीं तब अपने माता-पिता की मदद करने के लिए यमन चली गईं. निमिषा यमन में बतौर नर्स काम करना शुरू किया. परिवार की मदद के लिए विदेश जाने वाली निमिषा की जिंदगी में साल 2017 में ऐसा मोड़ आया, जिसने सब कुछ बदलकर रख दिया. निमिषा पर उनके बिजनेस पार्टनर और यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है. ये मामला यमन की अदालत में पहुंचा और 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई.

हत्या का मामला  

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तलाल अब्दो महदी ने निमिषा की जिंदगी को नर्क बना दिया था. तलाल ने पहले निमिषा की मदद करने का भरोसा दिया. फिर उनके दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर उन्हें अपनी पत्नी दिखाया और उनका आर्थिक शोषण किया.

निमिषा ने कई बार मदद मांगी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. रिपोर्ट्स के अनुसार, तलाल ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. इस प्रताड़ना के बीच निमिषा ने तलाल को बेहोश करने के लिए एक दवा दी, लेकिन ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई.

यमन में शरिया कानून लागू है. इस कानून के तहत हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई जाती है. यमन की सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने नवंबर 2023 में उनकी अपील खारिज कर दी.

क्या है ब्लड मनी?  

ब्लड मनी एक ऐसी प्रथा है, जिसमें हत्या के दोषी व्यक्ति को माफी दी जा सकती है, बशर्ते वह मृतक के परिवार को मोटी रकम मुआवजे के रूप में दे. यह रकम मृतक के परिजनों के साथ समझौते के तहत तय होती है.

निमिषा के परिवार ने ब्लड मनी जुटाने की कोशिशें तेज कर दी हैं. उनके वकील सुभाष चंद्रन ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि अभी तक 40,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 38 लाख रुपये) की दो किश्तें दी जा चुकी हैं. इस रकम का इस्तेमाल मृतक के परिवार को मनाने और समझौता करने के लिए किया जा रहा है.

हालांकि, अभी भी करीब 4 लाख डॉलर (3.5 करोड़ रुपये) की रकम जुटानी बाकी है. इस काम के लिए 2020 में ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ का गठन किया गया था. यह संगठन फंड इकट्ठा करने और समझौते के लिए प्रयास कर रहा है.

सरकार की भूमिका  

भारत सरकार ने कहा है कि यह मामला उनके संज्ञान में है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने मंगलवार को बताया कि वे निमिषा की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. 2015 में यमन में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद भारत ने अपना दूतावास सना से हटा लिया. अब यह दूतावास सऊदी अरब के रियाद में संचालित होता है. ऐसे में बातचीत और ब्लड मनी के मामले में चुनौतियां और बढ़ गई हैं.

निमिषा का परिवार और वकील अब भी यमन के राष्ट्रपति और मृतक के परिवार से माफी की उम्मीद कर रहे हैं.

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