Vayam Bharat

वायनाड में सामूहिक रूप से दफनाए जा रहे शव, मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 387 हुआ

केरल के वायनाड में हुए लैंडस्लाइड में मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार तक इस घटना में 387 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो गई है. वहीं, अब भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. आज रेस्क्यू ऑपरेशन का सातवां दिन है.

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आलम ये है कि शवों को सामूहिक रूप से दफनाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि पुथुमाला में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. यहां उन लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, जिनकी पहचान नहीं हो सकी है. प्रशासन खुद इनका अंतिम संस्कार कर रहा है.

इस बीच केरल सरकार में मंत्री पीए मोहम्मद रियास ने बताया कि रेस्क्यू टीम को वहां लगाया गया है, जहां शव मिलने की सबसे ज्यादा आशंका है. उन्होंने बताया कि वायनाड, मलप्पुरम और कोझिकोड में बहने वाली चालियार नदी के 40 किलोमीटर के इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी रहेगा, क्योंकि यहां से अब तक कई शव मिल चुके हैं.

रियास ने बताया कि लैंडस्लाइड से तबाह हुए मुडक्कई और चूरलमाला को छह जोन में बांटकर रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए एडवांस्ड रडार, ड्रोन और हेवी मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है.

 

लापता लोगों की पहचान के लिए रिश्तेदारों के ब्लड सैंपल लिए जा रहे

केरल सरकार ने वायनाड में हुए लैंडस्लाइड में लापता लोगों की पहचान के लिए कदम उठाए हैं, जिसके तहत डीएनए जांच के लिए जीवित बचे लोगों और रिश्तेदारों के ब्लड सैंपल इकट्ठा करने शुरू कर दिए हैं. लापता लोगों की पहचान करने के लिए राशन कार्ड, आधार कार्ड और लिंक किए गए फोन नंबरों का ब्योरा भी इकट्ठा करना शुरू कर दिया गया है.

वायनाड में कैसे आई त्रासदी

वायनाड में आई आपदा का केंद्र इरुवाझिंझी नदी है, जो लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई पर है और तीन प्रभावित गांवों- व्यथरी तालुका में मुदक्कई, चूरलमाला और अट्टामाला से होकर बहती है. इसके बाद यह चलियार नदी में मिल जाती है. बारिश के बाद नदी के पानी में बढ़ोतरी हो गई और इसकी जल धाराएं ज्यादा तेज हो गईं. अधिकारियों का कहना है कि व्याथरी (Vythri) में 48 घंटों में लगभग 57 सेमी बारिश हुई, जिसके बाद इरुवाझिंझी में उफान आया और भूस्खलन हुआ.

भूस्खलन का मलबा नदी में गिर गया और मलबे की एक दीवार बन गई. इसके बाद ऊपर की तरफ के गांव जलमग्न हो गए. ऊपर की पहाड़ियों से नदी में बहता भारी बारिश का पानी और ढलान आपदा की वजह बने. रिमोट सेंसिंग डेटा से पता चलता है कि नदी के रास्ते पर पहला गांव मुंदक्कई, जो अब समतल और तबाह हो गया है, लगभग 950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर केंद्र लगभग आधा है.

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