अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने फैसला किया है कि बोईंग का खराब स्पेसक्राफ्ट Starliner बिना सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) और बुच विलमोर (Butch Wilmore) के ही धरती पर वापस लौटेगा. यानी पूरी तरह से खाली. नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा कि हमारी प्रायोरिटी सुनीता और बुच की जिंदगी बचाना है. इसलिए वो अभी स्पेस स्टेशन ही रहेंगे.
नेल्सन ने कहा कि स्टारलाइनर से वापस लौटना सुरक्षित हो सकता है. जैसा कि हर बार रूटीन उड़ान में होता है. लेकिन यह एक टेस्ट फ्लाइट थी. जो कभी भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होती. न ही पूरी तरह से रूटीन उड़ान थी. दोनों की सुरक्षा ही हमारा कोर वैल्यू है. हम नासा और बोईंग के स्टाफ को शुक्रिया कहते हैं क्योंकि उन्होंने स्टारलाइनर की दिक्कतों पर बहुत ही डिटेल में काम किया है. अब इसे बिना किसी यात्री के ही लौटाया जाएगा.
NASA प्रमुख ने ये नहीं बताया कि स्टारलाइनर कब वापस आएगा. लेकिन संभावना है कि स्टारलाइनर सितंबर के पहले हफ्ते में खुद ही स्पेस स्टेशन से अलग हो. यानी ऑटोनॉमस अनडॉकिंग करे. धरती पर नियंत्रित रीएंट्री (Controlled Autonomous Re-Entry) करते हुए तय स्थान पर लैंड करे.
अब जानते हैं स्टारलाइनर की पूरी कहानी…
सुनीता विलियम्स जिस स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से स्पेस स्टेशन गई हैं. यह उसकी पहली मानवयुक्त ट्रायल उड़ान थी. स्टारलाइनर की कहानी पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि यह अंतरिक्षयान शुरू से अंत तक दिक्कतों से घिरा रहा है.
बोईंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी कंपनी ने एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक पहुंचाने और लाने के लिए स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को बनाया.नासा ने कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत बोईंग को यह स्पेसक्राफ्ट बनाने के लिए कहा. करोड़ों-अरबों की फंडिंग की. इस स्पेसक्राफ्ट का मॉडल पहली बार 2010 में पेश किया गया था.
NASA ने अक्टूबर 2011 में बोईंग को स्पेसक्राफ्ट बनाने के लिए हरी झंडी दी. स्टारलाइनर बनते-बनते 6 साल लग गए. 2017 में बना. 2019 तक परीक्षण उड़ान होते रहे. इन उड़ानों में कोई इंसान शामिल नहीं था. पहली मानवरहित ऑर्बिटल फ्लाइट टेस्ट 20 दिसंबर 2019 को हुई. इस उड़ान में कोई इंसान नहीं था.
दो सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी की वजह से यह दूसरे ऑर्बिट में पहुंच गया. स्पेस स्टेशन से डॉकिंग हो नहीं पाई. दो दिन बाद न्यू मेक्सिको के व्हाइट सैंड्स मिसाइल रेंज में लैंड हुआ.