बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि पति-पत्नी का अवैध संबंध तलाक का आधार हो सकता है, लेकिन बच्चे की कस्टडी न देने का नहीं. जस्टिस राजेश पाटिल की सिंगल बेंच ने 12 अप्रैल को एक 9 साल की बच्ची की कस्टडी उसकी मां को सौंपने का निर्देश देते हुए ये टिप्पणी की.
कोर्ट ने एक शख्स की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने अपनी बेटी की कस्टडी पत्नी को देने को लेकर फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट से कहा कि महिला के कई अवैध संबंध हैं, इसलिए बच्चे की कस्टडी पिता को मिलनी चाहिए.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
इस पर कोर्ट ने कहा कि जरूरी नहीं कि महिला अच्छी पत्नी नहीं है तो वह अच्छी मां भी न हो. जस्टिस पाटिल ने कहा कि बच्ची सिर्फ 9 साल की है, जो कि युवावस्था से पहले की उम्र है. ऐसे मामलों में बच्ची का अपनी मां के साथ रहना ही उसके लिए सही है.
याचिकाकर्ता महाराष्ट्र की पूर्व विधायक का बेटा है. शख्स पेशे से IT प्रोफेशनल है. उसकी पत्नी एक डॉक्टर है. दोनों की 2010 में शादी हुई थी. 2015 में उनकी बेटी का जन्म हुआ. पत्नी ने 2019 में दावा किया कि पति और ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया और उससे उसकी बेटी भी छीन ली.
महिला ने 2020 में पति और ससुराल वालों के खिलाफ उत्पीड़न, मारपीट और धमकी देने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई थी. दूसरी तरफ, महिला के पति ने कहा कि वह अपनी मर्जी से घर छोड़ कर गई थी.
पति ने क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक की अर्जी दायर की. फरवरी 2023 में फैमिली कोर्ट ने पत्नी को बच्ची की कस्टडी दे दी. बच्ची 24 फरवरी, 2023 से 9 फरवरी, 2024 तक लगभग एक साल अपनी मां के पास रही.
शख्स 11 फरवरी, 2024 को वीकेंड पर बेटी को अपने साथ ले गया, लेकिन पत्नी के पास वापस उसे छोड़ने नहीं आया. उसने बच्ची की कस्टडी को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया. उसने अपनी याचिका में दावा किया कि बच्ची अपनी मां के साथ खुश नहीं है. उसका व्यवहार बदल गया है.
पति ने पत्नी के अवैध संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि बेटी के स्कूल से उसकी दादी को ईमेल आया था. उन्होंने बच्ची के बदलते व्यवहार को लेकर चिंता जताई थी. इसलिए बच्ची का हित पिता और दादा-दादी के साथ रहने में है.
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि जब बच्ची के माता-पिता खुद इतने शिक्षित हैं तो स्कूल ने दादी से संपर्क क्यों किया. जस्टिस पाटिल ने कहा कि पेशे से डॉक्टर महिला ने बेटी की सहूलियत के लिए उसके स्कूल के पास घर लिया था.
इसके अलावा बच्ची की देखभाल में उसकी नानी भी मदद कर रही थी. मां और नानी के साथ रहने के दौरान पढ़ाई-लिखाई और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में बच्ची का परफॉर्मेंस काफी अच्छा था. जस्टिस पाटिल ने पति को 21 अप्रैल तक बेटी की कस्टडी पत्नी को सौंपने का निर्देश दिया है.