ब्रिटेन की संसद ने मंगलवार (23 अप्रैल) विवादित रवांडा डिपोर्टेशन बिल को पास कर दिया है. इस बिल का मकसद ब्रिटेन से अफ्रीका के शर्णाथियों को वापस उनके देश भेजना है. इसके पास होने के बाद सरकार ब्रिटेन में रह रहे अवैध शरणार्थियों को रवांडा भेजना शुरू कर देगी.
रवांडा मध्य-पूर्व अफ्रीका का एक देश है. BBC के मुताबिक, इस बिल को 2022 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन रवांडा के साथ हुए एक समझौता के बाद लाए थे. इस समझौते के मुताबिक, ब्रिटेन की सरकार रवांडा को अवैध शरणार्थियों के लिए 3 हजार करोड़ रुपए देगी. इस रुपए से रवांडा शरणार्थियों के लिए घर और रोजगार की व्यवस्था करेगा.
बिल के पास होने पर प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि 10 से 12 हफ्तों के भीतर ब्रिटेन से अवैध शरणार्थियों के पहले जत्थे को रवांडा भेजना शुरू किया जाएगा.
ब्रिटेन इन दिनों आर्थिक संकट और अवैध शरणार्थियों से जुझ रहा है. ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी देश में बेरोजगारी और मंहगाई को अवैध शरणार्थियों से जोड़ती है. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक रवांडा बिल पास होने से ब्रिटेन में 2025 में होने वाले प्रधानमंत्री के चुनाव में ऋषि सुनक को फायदा हो सकता है.
2019 में ब्रिटेन में हुई प्रधानमंत्री के चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी ने रवांडा बिल का वादा किया था और ऋषि सुनक इसी पार्टी से आते हैं. हालांकि, जून 2022 में रवांडा बिल को यूरोपीयन यूनियन की कोर्ट ने गैरकानूनी बताया था. बाद में यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने के बाद मामला वहां की सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने भी यूरोपीयन यूनियन के फैसले को बरकरार रखा था. लेकिन, अब बिल को संसद से पास होते ही कानून बन गया है.
यूरोप की मानवाधिकार संगठनों ने ऋषि सुनक के रवांडा बिल की आलोचना की है. उनके मुताबिक ये बिल ‘राइट टू लिव’ यानी रहने के अधिकार के खिलाफ है. अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने सरकार पर कोर्ट का आदेश का पालन ना करने के आरोप लगाए हैं.
मानव अधिकार संगठनों का कहना है कि बिल अमीर और गरीब में फर्क करता है. बिल लोगों के बीच भेदभाव बढाएगा. इससे अवैध शरणार्थियों पर सरकार जुर्म करेगी.
ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि इस साल फ्रांस और ब्रिटेन के बीच बने इंग्लिश चैनल को पार कर ब्रिटेन पहुंचने वालों की संख्या 4600 से अधिक है. इसके अलावा आज इस चैनल को पार करने में पांच लोगो ने अपनी जान गंवा दी. जान गंवाने वालों में सात साल की एक बच्ची भी थी.