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खंडित मूर्तियां, स्वास्तिक लिखी ईंटें और कुएं में छिपा इतिहास… संभल में मंदिर के पास खुदाई में क्या-क्या मिला?

उत्तर प्रदेश का संभल जिला पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है. पहले जामा मस्जिद सर्वे को लेकर आदेश हुआ. फिर तोड़फोड़-आगजनी और जमकर हिंसा हुई. इसके बाद पुलिस का एक्शन शुरू हुआ. इन सबके बीच अब एक दूसरे मंदिर का पता चला है, जिसे अतिक्रमण कर पिछले 46 साल से दबाकर रखा गया था. दरवाजे खोलने पर मालूम पड़ा कि इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति है और एक शिवलिंग भी स्थापित है. हालांकि, बात यही नहीं रुकी. बीते दिनों मंदिर के पास बने कुएं की खुदाई शुरू हुई तो इसमें से मूर्तियों के निकलने का शुरू हो गया. ये सब देखकर हर कोई चौंक पड़ा. अबतक कुएं की 15 से 20 फीट खुदाई हो चुकी है. इस दौरान खंडित मूर्तियां, स्वास्तिक लिखी ईंटे आदि मिली हैं. ऐसे में दावा किया जाने लगा है कि इस कुएं में और भी ‘इतिहास’ छिपा हो सकता है. कार्बन डेटिंग से सच्चाई पता लगाने की मांग उठ रही है.

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आपको बता दें कि पूरा मामला संभल शहर के खग्गू सराय इलाके का है, जहां 46 साल बाद शिव मंदिर खुलने के तीसरे दिन एक कुएं से 3 मूर्तियां मिली हैं. ये पार्वती, गणेश और कार्तिकेय/लक्ष्मी जी की मूर्तियां बताई जा रही हैं. दरअसल, संभल में सांप्रदायिक दंगों के बाद 1978 से बंद रखे गए इस मंदिर को पुलिस-प्रशासन ने पिछले दिनों खुलावाया है.

करीब चार दशक से अधिक समय (करीब 46 साल) से बंद इस मंदिर के बारे में तब पता चला जब इलाके में बिजली चोरी, अतिक्रमण रोकने और धरपकड़ के लिए एक टीम यहां पहुंची. बताया जा रहा है कि यह प्राचीन शिव मंदिर है और इसके पास एक कूप (कुआं) भी मिला है. कुआं अतिक्रमण की वजह से ढक गया है और इसकी खुदाई के दौरान तीन मूर्तियां और स्वास्तिक बनी हुई तीन ईंटें भी मिली हैं.

कुएं के अंदर और मूर्तियों के मिलने की संभावना

खुदाई के दौरान कुएं के अंदर और मूर्तियों के मिलने की संभावना है. खुदाई से वो मूर्तियां खंडित न हो जाएं, इस डर को देखते हुए खुदाई फिलहाल रोक दी गई है. वहीं, मूर्तियां मिलने के बाद स्थानीय हिंदुओं में गजब का उत्साह है. उन्होंने ढोल-मजीरे लेकर पूजा-पाठ के साथ भजन-कीर्तन शुरू कर दिया है. फिलहाल, मौके पर पुलिस फोर्स को भी तैनात किया गया है.

इस बीच संभल डीएम राजेंद्र पेंसिया ने कहा है कि करीब 46 साल बाद खोले गए मंदिर और कूप की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को लेटर लिखा गया है. इस मंदिर में फिर से पूजा पाठ शुरू तो हो गया है.

लेकिन इस घटना के बाद संभल में हुए एक बड़े दंगे की याद भी ताजा हो गई है. यह दंगा संभल के ‘फड़ कांड’ के नाम से जाना जाता है. दावा है कि इस दंगे के बाद यहां की हिंदू आबादी अपने घरों को बेचकर पलायन कर गई. बाद के दिनों में ये मंदिर और कूप भी अतिक्रमण का शिकार हो गया.

सीएम योगी ने भी किया इस मंदिर और संभल के पुराने दंगे का जिक्र

संभल में सांप्रदायिक दंगों के बाद 1978 से बंद रखे गए एक मंदिर को प्रशासन द्वारा फिर से खोले जाने पर, सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की भी प्रतिक्रिया आई है. सीएम योगी ने कहा- ‘यह मंदिर रातोंरात प्रकट नहीं हुआ है, बल्कि यह हमारी चिरस्थायी विरासत और हमारे इतिहास की सच्चाई का प्रतिनिधित्व करता है.’

प्रयागराज महाकुंभ पर एक कार्यक्रम में सीएम योगी ने 46 साल पहले संभल में हुई दुखद घटनाओं का उल्लेख किया, जहां निर्दोष लोगों ने हिंसा में अपनी जान गंवा दी थी. सीएम ने सवाल किया- नरसंहार के अपराधियों को दशकों बाद भी अदालत के कठघरे में क्यों नहीं लाया गया?

स्थानीय लोगों ने कही ये बात

उधर, संभल के स्थानीय लोगों का दावा है कि सांप्रदायिक दंगों और हिंदू आबादी के विस्थापन के कारण ये मंदिर 1978 से बंद पड़ा था. नगर हिंदू महासभा के संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी (82) ने बाताया कि वह मैं जन्म से ही खग्गू सराय में रहते आए हैं. 1978 के दंगों के बाद हिंदू समुदाय को इस इलाके से पलायन करना पड़ा था. तब से ही हमारे कुलगुरु को समर्पित यह मंदिर बंद था.

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