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बस्ती में शिक्षकों की मौत का सौदागर बने बीएसए व खंड शिक्षा अधिकारी, जानिए पूरा मामला

बस्ती: जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक संगठनों की चुप्पी या मौन संरक्षण व बेसिक शिक्षा अधिकारी तथा खण्ड शिक्षा अधिकारियों की मिलीभगत से जो खूनी खेल खेला जा रहा है वह कहीं न कहीं शिक्षकों की अर्न्तआत्मा को झकझोर कर बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर रहा है.

अखिलेश मिश्रा की मौत प्रकरण जो कि जनपद के बेसिक शिक्षा अधिकारी व उनके चहेते खण्ड शिक्षा अधिकारियों की मिली भगत से घटित हुआ उसे हत्या कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा.

शिक्षकों के मौत के सौदागर बने बीएसए व खण्ड शिक्षा अधिकारियों पर कार्यवाही न होने के कारण लगातार शिक्षकों का शोषण करने का हर दाँव आजमा रहे हैं ।प्राप्त समाचार के अनुसार जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग में बेसिक शिक्षा अधिकारी व उनके चहेते खण्ड शिक्षा अधिकारियों द्वारा शिक्षकों की मौत का खूनी खेल खेला जा रहा है उससे ऐसा लग रहा है कि जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग में लोकतन्त्र बचा ही नहीं है, तमाम शिक्षक सुविधा शुल्क न देने के कारण अकारण निलंबित चल रहे हैं और पर्दे के पीछे जमकर सौदेबाजी चल रही है.

सौदेबाजी का आलम शिक्षकों को मौत के मुहाने तक ले जा रहा है और शिक्षक संगठनों के खद्दरधारी नेता शिक्षक हितों को दरकिनार कर अपना उल्लू सीधा करने में जी जान से लगे हैं, कप्तानगंज विकास खण्ड की स्थिति और ही बदतर है क्योंकि यहाँ के पतवार धारक अर्थात् खण्ड शिक्षा अधिकारी उत्कोच के मामले में मझे खिलाड़ी हैं । इनके द्वारा क्षेत्र के विद्यालयों से कुछ गुप्तचर रखे गए हैं जो अन्य अध्यापकों के बारे में इन्हें पल – पल की अपडेट देते रहते हैं और बदले में इन गुप्तचरों को विद्यालय आने – जाने में खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा रियायत दी जाती है, यद्यपि शिक्षक अखिलेश कुमार मिश्रा को दिवंगत होने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा आनन फानन में पूर्व के तिथियों में बहाल कर दिया गया है परन्तु जनपद के अन्य निलंबित शिक्षकों के बहाली के मामले में वसूली हेतु सेटिंग जारी है.

सूत्र तो यहाँ तक बता रहे हैं कि आश्रित नियुक्तियों का भी अच्छा खासा रेट चल रहा है तभी तो कई दिवंगत शिक्षकों के आश्रितों को अभी तक नियुक्ति नही मिल पायी है । शिक्षक अखिलेश मिश्रा की मौत से भी विभाग कोई सबक नहीं ले रहा है और पूरे जनपद स्तर पर दर्जनों शिक्षकों की बहाली फंसी हुई है और शिक्षक संगठन भी मजबूत व निर्णायक विरोध के बजाय निरीह बना मौत के सौदागरों के सुर में सुर मिलाते हुए अपना उल्लू सीधा करने व राजनीति चमकाने में व्यस्त है.

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