मऊगंज : ग्राम गड़रा में 4 अप्रैल को एक महिला औसरी साकेत और उसके दो मासूम बच्चों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस घटना को लेकर मऊगंज कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. बसपा का आरोप है कि यह महज आत्महत्या नहीं बल्कि सुनियोजित हत्या प्रतीत होती है, जिसे प्रशासन नजरअंदाज कर रहा है.
बसपा ने 15 मार्च से 4 अप्रैल के बीच गांव में पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं. पार्टी का कहना है कि पुलिस ने अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के निर्दोष लोगों पर बर्बरता की, महिलाओं और नाबालिगों तक को नहीं बख्शा गया. झूठे केस दर्ज कर लोगों को जेल भेज दिया गया, जिससे गांव में दहशत का माहौल है.
ज्ञापन में बसपा ने अशोक कोल की संदिग्ध मौत की सीबीआई या न्यायिक जांच की मांग की है. साथ ही 15 मार्च की उस घटना की भी जांच की मांग की गई है, जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी. पार्टी ने सवाल उठाया कि घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस कितनी देर में मौके पर पहुंची और क्या तत्काल राहत व सुरक्षा मुहैया कराई गई?
बसपा ने पुलिस द्वारा दर्ज सभी केसों का पूरा ब्योरा मांगा है, जिनमें पुरुष, महिलाएं, नाबालिग और बालिग शामिल हैं. पार्टी ने निर्दोषों के नाम एफआईआर से हटाने, लापता लोगों की जांच समग्र आईडी के आधार पर करने और उनके घर व मवेशियों की सुरक्षा की भी मांग की है.
इसके अलावा घायल लोगों के इलाज के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने, 4 अप्रैल को मृत पाए गए परिवार को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग भी ज्ञापन में की गई है. बसपा ने सात दिन के भीतर कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.
इस दौरान बसपा जिला अध्यक्ष अनीता सुमन, प्रदेश प्रभारी रमाकांत पिंपल, दिलीप कुमार, अमरनाथ पटेल समेत सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे.