उत्तर प्रदेश : श्रावस्ती जिले के कटरा में बुद्ध की तपोस्थली श्रावस्ती अनुयायियों से गुलजार रही। इस दौरान काफी संख्या में अनुयाई मौजूद रहे. वर्षावास पूजा में शामिल होने वियतनाम से पहुंचे अनुयायियों ने भिक्षु भवरानंद के नेतृत्व में गंधकुटी पर प्रार्थना की.और देश ओर दुनिया में शांति के लिए प्रार्थना की
इस दौरान भिक्षु भंवरानंद ने कहा कि बौद्ध धर्म में वर्षावास का विशेष महत्व है। वर्षावास काल व्यतीत करने वाले भिक्षु एक ही स्थान पर रहकर ध्यान-साधना और पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान भिक्षु विचरण नहीं करते.भिक्षु को एक स्थान पर रहकर बुद्ध के करुणा, शील और त्याग के सिद्धांतों का पूर्णरूपेण पालन करना होता है.अपना सारा समय लोगों की भलाई और तपस्या में लगाना होता है.
विचरण न करने के पीछे मान्यता है कि वर्षा ऋतु में कई तरह के छोटे-छोटे जीव जन्म लेते हैं, जो विचरण करने से पैर से दब सकते हैं.इससे जीव की हत्या होती है.इससे बचने के लिए तीन माह वर्षावास व्यतीत किया जाता है.इस दौरान काफी संख्या में अनुयायी मौजूद रहे और इस दौरान वियतनाम से आए अनुयायियों ने देश ओर बुनिया में शांति के लिए प्रार्थना की , देश के बाहर से आए अनुयायियों को देखने के लिए काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे.