उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) शुरू हो गया है. ये महाकुंभ 26 फरवरी यानी अगले 45 दिनों तक चलेगा. कहा जा रहा है कि इस बार महाकुंभ में ऐसे संयोग बन रहे हैं, जो 144 साल बाद देखने को मिलेंगे.
12 साल में एक बार आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में इस बार देश और विदेश से 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है. इन करोड़ों श्रद्धालुओं के बीच अपने ब्रांड का प्रमोशन करने के लिए कारोबार जगत भी पूरी तरह से तैयार है.
महाकुंभ में कंपनियों का महाप्रचार
भारत की कई बड़ी कंपनियां भी इस महाकुंभ में शामिल होकर लोगों को अपने उत्पादों से सीधे परिचित कराने का ये सुनहरा अवसर छोड़ना नहीं चाहती हैं. अनुमान है कि कंपनियां अपने महाकुंभ के कुल बजट का 70 फीसदी हिस्सा केवल प्रचार में ही खर्च करेंगी.
इन 45 दिनों के दौरान मार्केटिंग में कंपनियां करीब 3600 करोड़ रुपये खर्च करेंगी. एक्सपर्ट्स के मुताबिक महाकुंभ के दौरान विज्ञापन और मार्केटिंग पर खर्च होने वाली करीब 3600 करोड़ रुपये में से 25 परसेंट अकेले आउटडोर विज्ञापन पर खर्च होंगे.
शाही स्नान पर कंपनियों का फोकस
महाकुंभ के एडवरटाइजिंग राइट्स से जुड़ी कंपनियों से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक कारोबार जगत की योजना 6 बड़े स्नान के दौरान अधिकतम विजिबिलिटी दर्ज करने की है. कुंभ मेले में कुल ब्रांडिंग खर्च का करीब 70 फीसदी हिस्सा 45 दिनों के आयोजन के दौरान मुख्य स्नान पर फोकस रहेगा.
इसकी वजह है कि शाही स्नान वाले दिनों में ही श्रद्धालुओं का मेला महाकुंभ में उमड़ेगा. इससे इन दिनों ब्रॉन्डिंग करने का मतलब होगा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक कंपनियों को अपने प्रॉडक्ट्स की जाकारी देने का मौका मिलेगा.
महाकुंभ में आईटीसी, कोका-कोला, अडानी ग्रुप, हिंदुस्तान यूनिलीवर, डाबर, बिसलेरी, इमामी, रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, बैंक ऑफ बड़ौदा और स्पाइसजेट जैसी कंपनियों ने ब्रॉन्डिंग अधिकार खरीदे हैं.
इस बार एक दिलचस्प ट्रेंड ये भी देखने को मिलेगा कि कंपनियां सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के जरिए जमकर मार्केटिंग कराएंगी. इसके साथ ही मार्केटिंग करने के लिए कंपनियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी सहारा लेंगी.
‘अमृत स्नान’ पर उमड़ी भीड़
इस बीच मंगलवार को मकर संक्रांति के अवसर पर महाकुंभ में पहला ‘अमृत स्नान’ किया और इस अवसर पर त्रिवेणी संगम में लोगों की एक अखंड धारा उमड़ी और लगभग 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई. अधिकांश अखाड़ों का नेतृत्व राख से लिपटे नागा साधु या नग्न साधु कर रहे थे, जिन्होंने अपने अनुशासन और पारंपरिक हथियारों की महारत से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.