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भैंस चराने वाली लड़की को करवा दिया ग्रेजुएशन में टॉप, राजस्थान-Noida से नॉर्थ ईस्ट तक फैला है मेवाड़ यूनिवर्सिटी का फर्जी रैकेट

राजस्थान में फर्जी डिग्री मामले में एसओजी ने चित्तौड़गढ़ की मेवाड़ यूनिवर्सिटी में इस गोरखधंधे को उजागर किया है. राजस्थान के सेकेंड ग्रेड टीचर परीक्षा लेक्चरर हिंदी-2022 में पेपर लीक और डमी के जरिए टॉपर बनी छात्रा की ग्रेजुएशन से लेकर बीएड तक की फ़र्ज़ी डिग्री बना दी. आरोपी छात्रा ब्रह्मा कुमारी सांचोर के भूतेश्वर गांव में मवेशी चराती थी. उसने कभी किसी कॉजेज तक का मुंह नहीं देखा.

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शक हुआ तो राजस्थान लोक सेवा आयोग ने ब्रह्मा कुमारी की डिग्री की जांच के लिए एसओजी को पत्र लिखा. एसओजी की जांच में एक और रैंक होल्डर सांचोर की ही रहने वाली कमला ने भी एक लाख में इसी यूनिवर्सिटी से डिग्री खरीदी थी. उसने भी कभी कॉलेज का मुंह नहीं देखा, मगर फ़र्ज़ी डिग्री लगाकर पेपर लीक गिरोह के जरिए लेक्चरर की परीक्षा पास कर ली थी. यूनिवर्सिटी के डीन और प्रिंसिपल को अरेस्ट किया है.

एसओजी के एडीजी वीके सिंह के मुताबिक, डीन कौशल सिंह ने बताया कि पांच साल में कितनी फर्जी डिग्रियां बांटी, ये याद नहीं है. जरूरत के हिसाब से लाखों में डिग्री का सौदा होता था. डीनने कहा कि मेवाड़ यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री केवल राजस्थान हीं नहीं, नोएडा में भी बांटी हैं. गुजरात समेत कई जगह यूनिवर्सिटी के लोगों को गिरफ़्तार किया है. एसओजी ने इस मामले में अबतक दो सरकारी टीचर समेत कई दलालों को भी गिरफ़्तार किया है.

एसओजी ने चुरू के ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संचालक समेत चार लोगों को फ़र्ज़ी डिग्री बांटने में गिरफ़्तार किया था. वहां केवल सात टीचर समेत कुल 28 स्टाफ़ है और 15 से ज़्यादा कोर्स संचालित हैं. यूनिवर्सिटी ने अबतक 708 पीएचडी की डिग्री बिना प्रोफ़ेसर की बांट दी. एडीजी वीके सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी अब तक 43 हज़ार डिग्रियां बांट दी हैं जिसकी जांच संभव नहीं है. मगर यूनिवर्सिटी की डिग्री लेकर सरकारी नौकरी पानेवाले की जांच की जाएगी .

राजस्थान में पीटीआई भर्ती परीक्षा 2022 में बड़े पैमाने पर फ़र्ज़ी डिग्री से नौकरी पाने वाली की जांच चल ही रही थी कि पीटीआई भर्ती परीक्षा 2018 में अकेले 60 नौकरी पाए लोगों की डिग्री नई जांच में फर्जी पाई गई है. इसके अलावा, नर्सिंग भर्ती में 83 अभ्यार्थियों ने शिलॉन्ग के एक ही नर्सिंग कॉलेज की डिग्री लगाई है.

एडीजी वीके सिंह ने बताया कि पेपर आउट करनेवाला गिरोह पेपर बेचकर डमी छात्र उपलब्ध कराता है और पास होने पर फ़र्ज़ी डिग्री का भी जुगाड़ करवाता है. ये सब एक क्रिमिनल गैंग की तरह सबकुछ करने का ठेका लेते हैं. गांव में 5वीं पास मजदूर को भी यह गैंग पैसे लेकर कॉलेज में लेक्चरर बनाने का ठेका लेते हैं.

 

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