उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में रहने वाला बबलू 22 साल पहले रेल यात्रा के दौरान दिल्ली में खो गया था. हालांकि, माता-पिता से बिछड़ने के बाद भी उसे गांव का नाम याद रहा. शायद इसीलिए वो दो दशक बाद सकुशल अपने परिवार से दोबारा मिल पाया है. इतने लंबे समय के बाद बेटे को पाकर मां-बाप की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. आइए जानते हैं 26 वर्षीय बबलू के खोने और मिलने की पूरी कहानी…
बता दें कि जिस वक्त बबलू अपने मां-बाप से बिछड़ा था तब उसकी उम्र महज 4 साल थी. उस वक्त वह अपने पैरेंट्स के साथ ट्रेन से कहीं जा रहा था. तभी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर गलती से उतरने के दौरान खो गया था. उसकी तलाश में परिजन कई सालों तक इधर-उधर भटकते रहे.
परिजन पुलिस के साथ-साथ मंदिर, मस्जिद, साधु-संत, फकीर सबके पास जाते हैं. लेकिन बबलू का कहीं कुछ पता नहीं चलता है. ऐसे में थक हार कर वह बबलू की तलाश को किस्मत के भरोसे छोड़ देते हैं और अपने रोजमर्रा के काम में लग जाते हैं. लेकिन सालों बाद ‘चमत्कार’ होता है और आगरा जीआआरपी बबलू को उसके घर पहुंचाने में सफल हो जाती है.
ऐसे 22 साल बाद घर पहुंचा बबलू
दरअसल, आगरा जीआरपी ने ‘ऑपरेशन मुस्कान’ के तहत बबलू का अपने परिवार से मिलन कराया है. मिली जानकारी के अनुसार, बुलंदशहर के रहने वाले सुखदेव शर्मा का 4 वर्ष का बेटा बबलू जून 2002 में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अपने मां-बाप से बिछड़ गया था. बबलू के गुम हो जाने की सूचना परिजनों ने दिल्ली पुलिस से भी की थी. परिजनों ने बबलू को ढूंढने का काफ़ी प्रयास किया, लेकिन कई दिन खाली गुजर जाने के बाद परिजन अपने मन को समझा कर शांत हो गए.
उधर, 22 साल पहले स्टेशन पर बबलू को घूमता देख दिल्ली पुलिस की मदद से उसे बाल सुधार गृह में भेज दिया गया था. बबलू 22 साल तक बाल सुधार गृह में ही रहा. 14 साल तक बबलू वहां शरणार्थी के रूप में रहा. 18 साल की उम्र होते ही बबलू को बाल सुधार गृह में ही नौकरी मिल गई.
इस बीच ‘ऑपरेशन मुस्कान’ में जुटी आगरा जीआरपी की टीम किसी गुमशुदा की तलाश में दिल्ली स्थित बाल सुधार गृह पहुंची थी. यहां उसे बाल सुधार गृह में बबलू के बारे में जानकारी हुई. बबलू ने खुद जीआरपी टीम से कहा कि उसे भी उसके मां-बाप से मिलवा जाए.
बबलू ने पुलिस टीम को बताया कि उसे बस अपने गांव धनौरा का नाम याद है. बाकी कुछ नहीं पता कि ये किस प्रदेश में है या किस जिले में. बबलू की बात सुनकर जीआरपी आगरा ने उसे मां-बाप से मिलाने का बीड़ा उठाया. पुलिस टीम ने गूगल मैप आदि की मदद से बबलू के गांव की खोज शुरू की. हालांकि, शुरू में टीम को कोई सफलता हाथ नहीं लगी.
जिसके बाद पुलिस टीम ने फिर बबलू से बातचीत करने का प्रयास किया. इस बार बबलू ने बताया कि उसके गांव के पास एक रेलवे स्टेशन भी है. उसी रेलवे स्टेशन से बबलू मां-बाप के साथ दिल्ली आया था. ऐसे में पुलिस ने रेलवे स्टेशन वाले गांव को खोजना शुरू किया. इस खोजबीन में पुलिस को बुलंदशहर के चोला रेलवे स्टेशन का नाम सामने आया.
जीआरपी ने खोज निकाला ग्राम धनौरा
जीआरपी पुलिस टीम ने चोला रेलवे स्टेशन के पास गांव धनौरा में लोगो से संपर्क साधने का प्रयास किया. धनौरा गांव यूपी के बिजनौर में भी है, बागपत में भी है और बुलंदशहर में भी. इसलिए और बारीकी से जांच की गई, तब बुलंदशहर के गांव के बारे में पता चला. इस गांव के ही एक व्यक्ति ने बताया कि सुखदेव का बेटा कई वर्षो पहले खो गया था. जिसपर जीआरपी ने बबलू की पहचान के लिए उसकी फोटो गांव भेजी. फोटो को देखते ही बबलू की मां ने उसे पहचान लिया.
इसके बाद जीआरपी टीम ने सुखदेव शर्मा से बात की तो उन्होंने भी बताया कि यह तस्वीर बबलू की ही है. टीम ने बबलू से उसकी मां अंगूरी की वीडियो कॉल पर बात भी कराई. सब होने के बाद जीआरपी ने बबलू के मां-बाप को आगरा बुला लिया. फिर वहां से उन्हें दिल्ली स्थित बाल सुधार गृह लेकर गई.
इस बाल सुधार गृह में बबलू 22 साल बाद अपने मां-बाप के गले लग सका. कागजी कार्यवाही पूरी कर बबलू को आगरा लाया गया और उसके बाद उसे परिजनों के हाथों सौंप दिया गया. जहां से बबलू अपने घरवालों के साथ ख़ुशी-ख़ुशी अपने गांव धनौरा चला गया.
इस मामले में एसपी जीआरपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि हमारी टीम दिल्ली स्थित शेल्टर होम गई हुई थी. वहां रह रहे बबलू ने टीम के काम को देखते हुए अनुरोध किया था कि उसके परिवार से उसे मिलवाया जाये. टीम 6 महीने ने बबलू को उसके मां-बाप से मिलाने में जुटी हुई थी.