उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाई थी, इसके बावजूद रविवार को लखनऊ के कैसरबाग में बने अवैध निर्माण पर एलडीए के बुलडोजर ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की. यह बिल्डिंग निर्माणाधीन थी. आरोप है कि इस बिल्डिंग के नीचे दो फ्लोर का बेसमेंट तैयार किया जा रहा था, जोकि अवैध है. इसके साथ ही निर्माणाधीन बिल्डिंग का लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) से नक्शा भी पास नहीं कराया गया था.
कैसरबाग में अरमान बशीर और ओवैस मिर्जा की इस निर्माणाधीन बिल्डिंग को बुलडोज कर दिया गया. इस दौरान घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिस और रेपिड फोर्स भी लगाई गई है. बताया जा रहा है कि न तो इस बिल्डिंग का नक्शा पास था और न ही बिजली कनेक्शन और अन्य प्लान वैलिड थे. ये कॉम्प्लेक्स फर्जी तरीकों से हासिल की गई विवादित जमीन पर बनाया जा रहा था. जांच के बाद एलडीए की टीम ने शुभम सिनेमा के पास निर्माणाधीन बिल्डिंग को ढहा दिया.
हालांकि इसको लेकर बिल्डिंग के ऑनर ओवैस मिर्जा ने आजतक से बात करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस बिल्डिंग पर किसी तरह के एक्शन को लेकर स्टे दिया था. एलडीए द्वारा ध्वस्तीकरण की इस कार्रवाई के खिलाफ अरमान और ओवैस मिर्जा कमिश्नरेट कोर्ट भी गए, जहां 14 नवंबर की तारीख लगी है, लेकिन वहां से स्टे पीड़ित पक्ष को नहीं लगा है.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि इसके पेपर सभी हैं. उसके बावजूद एलडीए ने उन्हें टाइम नहीं दिया. इसको ध्वस्त कर रहे हैं. मुझे इतना मालूम है कि एलडीए के पास से परमिशन है. इसके बाद कोई टाइम नहीं दिया गया.
कॉम्प्लेस के मालिक ने क्या बताया?
ओवैस ने बताया कि हाई कोर्ट का स्टे है. कमिश्नरी में हमने अपडेट कर दिया है. किसी और का डिमोशन है, लेकिन हमारे घर को गिराया जा रहा है. नक्शा पास नहीं था, लेकिन हमने अप्लाई किया था. उन्होंने बताया कि हमें एक एलडीए का ब्रोकर मिला था. उसने हमसे 10-15 हजार रुपये लिए नक्शा पास कराने के लिए. हम तुम्हारा नक्शा दो मिनट में करवा देंगे. जब हमसे पैसे ले लिए और उसके बाद भी रुपये मांगे. हमसे कहा कि और रुपये दो नहीं तो हम तुम्हारी बिल्डिंग गिरवा देंगे. उसने अधिकारियों के साथ मिलकर किसी और के नाम का नोटिस जारी करवा के, हमारी बिल्डिंग दिखाकर इस पर कार्रवाई करवा दी. हमारे पास हाई कोर्ट का स्टे भी है.
उन्होंने कहा कि योगी जी के राज में कोई सुनवाई नहीं हो रही है. आज रविवार है, कोई अधिकारी नहीं सुन रहा है. हम इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे. जो भी अधिकारी यहां ध्वस्तीकरण की कार्रवाई में शामिल हैं, उनके खिलाफ कंटेप्ट ऑफ कोर्ट का केस करेंगे.
कानून के शासन में बुलडोजर न्याय के लिए कोई जगह नहीं: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्तियों को नष्ट करने की धमकी देकर दबाया नहीं जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा था कि कानून के शासन वाले समाज में इस तरह के बुलडोजर न्याय के लिए कोई जगह नहीं है. किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था में बुलडोजर के जरिए न्याय नहीं किया जाता है. कोर्ट ने नए नियम बताते हुए कहा था कि किसी घर को गिराने से पहले सही से सर्वेक्षण, लिखित नोटिस और आपत्तियों पर विचार किया जाना चाहिए.