बस्ती में काली माता के मंदिर पर चला बुलडोजर! भड़के हिंदूवादी संगठन के लोग, प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा

उत्तर प्रदेश के बस्ती में बुलडोजर एक्शन से हिंदूवादी संगठन के लोगों में भारी आक्रोश है. उन्होंने देर रात तक जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. दरअसल, इस बार बुलडोजर शहर के एक मंदिर पर गरजा है. बुलडोजर की इस कार्रवाई में काली माता का मंदिर पूरी तरह जमींदोज हो गया है. प्रशासन के लोगों ने मूर्ति को उठवाकर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है.

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मामले में अधिकारियों ने बताया कि फोरलेन सड़क निर्माण कार्य के चलते मंदिर को रोड किनारे से हटाया गया है. ये सड़क लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत बन रही है. मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोगों से बातचीत करने के बाद बुलडोजर चलाया गया है. बातचीत में मंदिर को दूसरी जगह स्थापित करने पर आम सहमति बनी थी.

पूरा मामला शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र के आवास विकास मोहल्ले का है, जहां एक प्राचीन काली माता मंदिर था. इस मंदिर को बीती रात बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया. जिसके चलते हिंदूवादी संगठन भड़क गए और जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

आपको बता दें कि बस्ती में इन दिनों बड़ेवन से लेकर कंपनीबाग तक फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. लोक निर्माण विभाग की देखरेख में बन रही यह सड़क, निश्चित रूप से क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसी विकास की राह में एक ऐसी घटना हो गई जिससे इलाके के लोग आक्रोशित हो उठे.

प्रदर्शनकारी लोगों का आरोप है कि बिना किसी सूचना के बुलडोजर से मंदिर को तोड़ दिया गया. विश्व हिंदू महासंघ के जिलाध्यक्ष अखिलेश सिंह ने इस मामले में कड़ा विरोध दर्ज कराया है. महासंघ के पदाधिकारियों और सदस्यों ने तत्काल कोतवाली पहुंचकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और मंदिर तोड़ने वाले सड़क निर्माण में लगे ठेकेदार के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की.

उन्होंने कहा कि यह एक आपराधिक कृत्य है, जिसने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. महासंघ ने यह भी मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए.

वहीं, इस घटना पर अपर जिलाधिकारी प्रतिपाल चौहान ने बताया कि रोड के चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है उसमें मेरे द्वारा मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोगों के साथ एक बैठक की गई थी, जिसमें सभी के द्वारा मंदिर हटाने और मूर्ति को दूसरी जगह स्थापित करने पर आम सहमति बनी थी. इसी के बाद PWD के द्वारा एक नए मंदिर का निर्माण कराकर मूर्ति को वहां पर रखवा दिया गया है.

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