मध्यप्रदेश : सीधी जिले के डैनीहा इलाके में बुधवार की रात प्रशासनिक बुलडोज़र ने 100 से अधिक आदिवासी परिवारों की ज़िंदगी को मलबे में तब्दील कर दिया.सिविल कोर्ट के आदेश पर ज़ालिम कोल, लखन कोल, मोहन कोल, मसाली कोल, फेराई कोल, अवधेश कोल, राहुल कोल, परदेसी कोल समेत लगभग 100 आदिवासी परिवारों को उनकी पुश्तैनी ज़मीन से बेदखल कर दिया गया.ये परिवार पिछले 80 साल से अधिक समय से इस भूमि पर रह रहे थे.
जमीन के मालिक मृगेंद्र सिंह द्वारा लगभग दो दशक पहले सिविल कोर्ट में अतिक्रमण हटाने की याचिका लगाई गई थी, जिसमें 2020 में फैसला उनके पक्ष में आया.अप्रैल 2024 में दोबारा कोर्ट में ‘क्वांटम ऑफ कोर्ट’ के तहत आवेदन किया गया, जिसके बाद 7 मई 2025 को फिर से सिंह के पक्ष में आदेश पारित हुआ। इसी के तहत 28 मई को प्रशासन और राजस्व विभाग की टीम जेसीबी मशीनों के साथ पहुंची और घरों को गिरा दिया गया.
रातों-रात उजड़ चुके इन आदिवासियों में अफरा-तफरी मच गई। कई परिवार अपने बच्चों, सामान और मवेशियों के साथ कलेक्टर बंगले के पास पहुंचे.प्रशासन द्वारा उन्हें समझाइश दी गई, जिसके बाद 40 से 45 लोगों को रंग बसेरा आश्रय स्थल में रुकवाया गया, जहां रात में खाने-पीने की व्यवस्था की गई। शेष लोग मलबे के बीच ही रात बिताने को मजबूर हुए.
इस कार्रवाई पर अब सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने विरोध शुरू कर दिया है। शिवसेना के प्रदेश उपाध्यक्ष विवेक पांडे ने कहा कि, “जब तक इन गरीब आदिवासी परिवारों के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक घर गिराना अमानवीय और अन्यायपूर्ण है।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि कई रसूखदारों पर भी कोर्ट के आदेश हैं, लेकिन उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
एसडीएम नीलेश शर्मा ने सफाई दी कि यह कार्रवाई सिविल कोर्ट के स्पष्ट आदेश पर की गई और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित रखने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। फिलहाल 100 से अधिक लोग या तो आश्रय स्थल में हैं या खुले में रहने को मजबूर हैं। प्रशासनिक चुप्पी के बीच इस मानवीय त्रासदी ने जनमानस को झकझोर दिया है.