केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. रामदास आठवले ने महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि भाषा के नाम पर दादागिरी कर संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. आठवले ने साफ कहा कि हिंदी भाषा के नाम पर ऐसी गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों को जेल भेजा जाएग
प्रयागराज में मीडिया से बात करते हुए आठवले ने कहा कि ‘महाराष्ट्र में मराठी हमारी मातृभाषा है और उसका सम्मान जरूरी है. लेकिन किसी को भी भाषा या प्रांत के नाम पर डराने या मारपीट करने का हक नहीं है. संविधान हर भारतीय को देश में कहीं भी रहने और काम करने का अधिकार देता है.’ उन्होंने महाराष्ट्र की महायुति और महाविकास अघाड़ी सरकारों से ऐसी हरकत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
आठवले ने हिंदी भाषा विवाद में शिवसेना (UBT) के उद्धव ठाकरे और MNS के राज ठाकरे के एकजुट होने पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ‘उद्धव और राज ठाकरे भले ही एक साथ आ गए हों, लेकिन इसका मुंबई महापालिका चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.’ उन्होंने बताया कि मुंबई में गैर-मराठी आबादी, खासकर हिंदी भाषी, दक्षिण भारतीय, बंगाली, उड़िया और गुजराती लोगों की संख्या 60-65% है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ‘हमारे साथ हिंदी, मराठी और दक्षिण भारतीय लोग हैं. भाषा के नाम पर इस देश में बंटवारा नहीं चलेगा.’
केंद्रीय मंत्री ने बिहार में एनडीए की सरकार बनने की भविष्यवाणी की और उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) की योजनाओं का खुलासा भी किया. उन्होंने कहा कि ‘RPI यूपी में 2026 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हिस्सा लेगी. जहां हमारे कार्यकर्ता तैयार हैं, वहां हम मजबूती से चुनाव लड़ेंगे.’ 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीटों की मांग की बात कही. आठवले ने कहा कि ‘हमारी पार्टी यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए सीटें मांगेगी और इस पर चर्चा होगी.’
भारत का संविधान सर्वोपरि है, भाषा के नाम पर दादागिरी को बर्दाश्त नहीं : आठवले
आठवले ने महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के फैसले को रद्द करने का स्वागत किया है. लेकिन चेतावनी दी कि भाषा के नाम पर दादागिरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ‘मुंबई एकता और विविधता का शहर है. हमें मराठी पर गर्व है, लेकिन किसी को भी संविधान का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दीजाएगी.’