लोगों का पैसा अपने पास जमा करना. फिर उन पैसों को इनवेस्ट करना और उस पर मुनाफा कमाना. बैंक और इंवेस्टर्स ऐसा ही करते हैं. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बस कंडक्टर ने भी कुछ ऐसा ही किया है. मगर कहानी में ट्विस्ट ये है कि जिन पैसों का इस्तेमाल उसने किया, वो टिकट के पैसे थे, जो यात्रियों से वसूले गए थे. कंडक्टर ने सवारियों से मिले पैसों को IPL सट्टा में लगा दिया. जब विभाग को इस बात की जानकारी मिली तो कंडक्टर ने चुपके से उन पैसों को सरकारी खजाने में जमा करा दिया. हालांकि, विभाग ने अपनी जांच शुरू कर दी है.
कंडक्टर पंकज तिवारी उत्तर प्रदेश के कैसरबाग डिपो में काम करता है. रोडवेज बस के साथ तिवारी दिल्ली गया था. वहां से देहरादून गया और फिर 8 अप्रैल को लखनऊ लौट आया. लंबी यात्रा के कारण टिकट से लगभग 65 हजार रुपये मिले. इन पैसों को 10 अप्रैल को डिपो में जमा कराना था लेकिन कंडक्टर ने ऐसा नहीं किया. पैसे लेकर वो 10 दिनों तक गायब रहा.
जानकारी मिली कि उसने इन पैसों को IPL के सट्टे में लगा दिया. रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती जांच में कैसरबाग बस स्टेशन इंचार्ज एस. के. गुप्ता की भी मिलीभगत सामने आई है. ये उन्हीं की जिम्मेदारी होती है कि पैसे सही समय पर बैंक में जमा हों. उन पर मामले को कई दिनों तक दबाए रखने का आरोप लगा है. मामला जब सामने आया तो चुपके से पैसा जमा करवा दिया गया.
आरोप ये भी है कि कंडक्टर पंकज तिवारी अक्सर ऐसा ही करता है. पैसे देर से जमा करता है. कैसरबाग डिपो के MRM अरविंद कुमार ने बताया है कि इस मामले में तिवारी से पूछताछ की गई है. फिलहाल उनको ड्यूटी से हटा दिया है और मामले की जांच की जा रही है. कुमार ने आगे कहा कि इसमें जो भी लोग शामिल होंगे उन सभी पर कार्रवाई की जाएगी.