कुछ दिन पहले खबर आई थी कि सिगरेट और तंबाकू का सेवन करने वालों की जेब का खर्च बढ़ने वाला है, क्योंकि तम्बाकू, सिगरेट और इससे सिमिलर प्रोडक्ट्स पर GST बढ़ सकता है. अब एक्सर्ट्स ने मंत्रियों के समूह (GOM) द्वारा तम्बाकू उत्पादों पर 35 फीसदी ‘सिन टैक्स’ स्लैब की हाल ही में की गई सिफारिश का समर्थन किया है, जो वर्तमान में 28 प्रतिशत है. उन्होंने तर्क दिया कि तम्बाकू पर टैक्स बढ़ाने से न केवल लोगों की जान बचेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी और स्वस्थ और विकसित भारत के नजरिए को आगे बढ़ाया जा सकेगा.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस कदम से तम्बाकू की खपत पर अंकुश लगेगा और निवारक स्वास्थ्य सेवाओं की फंडिंग की जा सकेगी. भारत सरकार के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के प्रमुख और एम्स, नई दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. आलोक ठाकर ने कहा, “तम्बाकू से संबंधित बीमारियां भारत के हेल्थ सिस्टम पर असहनीय बोझ डालती हैं. टैक्स बढ़ोतरी तम्बाकू की खपत को कम करने में वैश्विक रूप से प्रभावी साबित हुई है.”
इन चीजों पर टैक्स घटाने की मांग
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत को सभी तम्बाकू उत्पादों को एक मजबूत टैक्स दायरे में लाना चाहिए ताकि लोगों को सस्ते, हानिकारक विकल्पों की ओर जाने से रोका जा सके. यह खबर जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले आई है. जीएसटी काउंसिल की बैठक 21 दिसंबर को होने वाली है, जिसमें मंत्री समूह के प्रस्ताओं पर विचार विमर्श किया जाएगा. इनमें तंबाकू और कोल्ड ड्रिंग जैसी चीजों के लिए 35 फीसदी की नई टैक्स स्लैब शुरू करना, नोटबुक, बोतलबंद पानी औरसइकिल जैसी आवश्यक वस्तुओं पर GST Rates कम करना और हेल्थ व जीवन बीमा पर प्रीमियम कम करना शामिल है.
1 दशक से कम हो रहा दाम
विशेषज्ञों का तर्क है कि सिन प्रोडक्ट्स से होने वाले राजस्व में वृद्धि इन दरों में कटौती की भरपाई करने में मदद कर सकती है, जिससे नागरिकों को राहत मिलेगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों को आगे बढ़ाया जा सकेगा. लखनऊ विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. अरविंद मोहन ने तंबाकू कर को भारत की विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा से जोड़ा. उन्होंने कहा, “तंबाकू का उपयोग हमारी सबसे बड़ी संपत्ति – ‘मानव पूंजी’ को नुकसान पहुंचाता है. पिछले एक दशक से, तंबाकू उत्पादों पर टैक्स का बोझ वास्तविक रूप से लगातार कम हो रहा है, जो वैश्विक बेंचमार्क से कम है.
ICMR के राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम और अनुसंधान संस्थान (NICPR) के वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत कुमार सिंह ने तम्बाकू से संबंधित मृत्यु दर को लेकर कहा कि इस तरह की बीमारियों के कारण भारत में 2019 और 2021 के बीच करोड़ों मौतें हुईं. डॉ. सिंह ने कहा कि तम्बाकू टैक्स से राजस्व को फायदा होगा.
डॉ प्रीतम ने कहा कि “WHO की सिफारिश है कि तंबाकू पर टैक्स खुदरा मूल्य का कम से कम 75% होना चाहिए. हालांकि, भारत में, वर्तमान में सिगरेट के लिए टैक्स केवल 57.6% और मशीन से बनी बीड़ी के लिए 22% है.”