काशी के पिशाचमोचन कुंड के पास स्थित एक पीपल का पेड़ भी खास मान्यताओं का केंद्र है
Varanasi: इस पेड़ में ठोंके गए सिक्के और कीलें ऐसी आत्माओं का प्रतीक मानी जाती हैं। जो अतृप्त अवस्था में हैं.
पिशाचमोचन कुंड का यह पेड़ मृत व्यक्तियों की तस्वीरों, उनके कपड़ों और प्रतीक चिह्नों से भरा हुआ है। ऐसा विश्वास है कि अकाल मृत्यु से मरने वाले व्यक्तियों की आत्मा यहीं से मोक्ष प्राप्त कर सकती है.
आपको बता दें की इस पीपल के पेड़ पर सिक्के या कील गाड़ने की परंपरा पूरे साल चलती है, लेकिन पितृपक्ष के 15 दिनों का विशेष महत्व है। इन दिनों में तर्पण और श्राद्ध से आत्माओं को मुक्ति मिलती है। यहाँ न केवल पितरों का श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उन ज्ञात-अज्ञात आत्माओं का भी त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है जो अकाल मृत्यु का शिकार होती हैं.
पिशाच मोचन कुंड पर स्थित पेड़ पर सिक्के और कील लगाने की परंपरा श्रद्धालुओं को यह याद दिलाने के लिए है कि उनके पितृ यहाँ हैं.कई लोग इसे प्रेत बाधाओं से मुक्ति के उपाय के रूप में भी मानते हैं.