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छत्तीसगढ़ में मंत्रीमंडल का विस्तार जल्द: राज्यपाल से मिले सीएम साय, विधायक अजय, अमर, गजेंद्र, राजेश, खुशवंत में से कोई तीन को कैबिनेट में मिलेगी जगह

कुरुद: छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है. शनिवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अचानक राज्यपाल रमेन डेका से मिलने पहुंचे. बताया जा रहा है कि इस बैठक में नए मंत्रियों के नाम और शपथ ग्रहण की तारीख पर चर्चा की गई है. दरअसल, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 21 अगस्त को जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर रवाना होंगे. ऐसे में अनुमान है कि शपथ ग्रहण की प्रक्रिया अगले पांच दिनों में पूरी कर ली जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व ने 14 सदस्यीय मंत्रिमंडल बनाने पर सहमति जताई है, जिसमें तीन नए मंत्रियों की एंट्री होगी.

नए मंत्रियों के चयन में संतुलन बनाए रखा जाएगा

बीजेपी संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में संगठन, क्षेत्र और सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखा जाएगा. इसमें एक मंत्री सामान्य वर्ग से, दूसरा अनुसूचित जनजाति से और तीसरा पिछड़ा वर्ग से हो सकता है. इसके साथ ही, बिलासपुर, सरगुजा और दुर्ग संभागों से एक-एक मंत्री को शामिल करने की संभावना है.

मंत्रियों की कुर्सी में कोई बदलाव नहीं, पुराने मंत्रियों की स्थिति सुरक्षित

सूत्रों के अनुसार, नए मंत्रियों का स्वागत किया जाएगा, लेकिन वर्तमान मंत्रियों के विभागों या पदों में कोई बदलाव नहीं होगा. इसका मतलब यह है कि मौजूदा टीम में से किसी को बाहर नहीं किया जाएगा. हालांकि, राजनीतिक हलकों में लक्ष्मी रजवाड़े, दयालदास बघेल और टंकराम वर्मा के बारे में कुछ समय से अटकलें चल रही थीं, लेकिन अब इन नेताओं के बारे में कोई ताजा संकेत नहीं मिल रहे हैं.

मंत्रियों में प्रमुख उम्मीदवार

मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए कुछ विधायक प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. इनमें बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल, कुरुद विधायक अजय चंद्राकर, दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव, अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल और आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब का नाम शामिल है. इन पांच में से तीन लोगों को साय कैबिनेट में जगह मिल सकती है.

संसदीय सचिवों की भी हो सकती है नियुक्ति

बीजेपी सरकार अगस्त महीने में संसदीय सचिवों और रिक्त निगम मंडलों के अध्यक्षों की नियुक्ति भी कर सकती है. इस नियुक्ति में सीनियर और जूनियर नेताओं के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा. संसदीय सचिवों की नियुक्ति की परंपरा भाजपा शासनकाल के दौरान डॉ. रमन सिंह सरकार में शुरू हुई थी और बाद में कांग्रेस सरकार ने भी इसे जारी रखा था. अब साय सरकार भी इस परंपरा को अपनाने की तैयारी में है.

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