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अजमेर दरगाह को मंदिर बताना भारत के दिल पर हमला, मौलाना महमूद मदनी का बयान

राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है. हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता दरगाह में शिव मंदिर का दावा किया है. इस मामले में कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. वहीं इस मामले पर सियासत गरमा गई है. इस बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी का बयान सामने आया है. उन्होंने इसे भारत के दिल पर हमला करने जैसा बताया है.

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मौलाना महमूद असद मदनी ने देशभर में मस्जिदों के संबंध में जारी अराजकता पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने इस संबंध में उत्तरकाशी (उत्तराखंड) की जामा मस्जिद के खिलाफ अभियान और स्थानीय प्रशासन द्वारा सांप्रदायिक तत्वों को पंचायत की अनुमति दिए जाने की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा है कि ऐसे लोगों को हर जगह सरकारों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके परिणाम देश में अराजकता और घृणा के रूप में सामने आ रहे हैं. उन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से मांग की है कि वह ऐसे तत्वों को संरक्षण देने से दूर रहें, नहीं तो इतिहास उनके आचरण को माफ नहीं करेगा.

‘अजमेर दरगाह को शिव मंदिर बताना हास्यपद’

मौलाना मदनी ने कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह के बारे में किया जाने वाला दावा हास्यास्पद है और कोर्ट को इसे फौरन खारिज कर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने ख्वाजा साहब के बारे में कहा कि वो सांसारिक सुख से आजाद एक फकीर थे, जिन्होंने किसी भू-भाग पर शासन नहीं किया, बल्कि उन्होंने लोगों के दिलों पर राज किया. इसी वजह से आप ‘सुल्तान-उल-हिंद’ कहलाए. एक हजार सालों से आप इस देश के प्रतीक हैं और आपका व्यक्तित्व शांति के दूत के रूप प्रचलित है.

‘सेवाभाव के कारण मिला गरीब नवाज का उपनाम’

मदनी ने कहा कि ख्वाजा साहब के गरीबों के प्रति सेवाभाव के कारण लोगों ने उन्हें गरीब नवाज का उपनाम भी दिया. उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू अमन-शांति, सहिष्णुता और प्राणियों के प्रति प्रेम है. इंसानी भाईचारा, बराबरी और गरीबों की सेवा की परंपरा जो उन्होंने स्थापित की, वह सभी भारतीयों की समान विरासत है, चाहे वो किसी भी धर्म और समुदाय के हों.

‘किसी धर्म में भेदभाव नहीं किया’

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कहा कि ख्वाजा साहब के यहां मानवीय सेवा में मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच कोई भेदभाव नहीं था. उनके दरवाजे जिस तरह से मुसलमानों के लिए खुले थे, उसी तरह अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी खुले हुए थे और बिना किसी भेदभाव के अपने प्रेम से दिलों में ताजगी भरते रहे.

‘उनका पूरा जीवन अहिंसा का उपदेश देता है’

मदनी ने कहा कि भारत के महान विचारक सी. राजगोपाल आचार्य (भारत के प्रथम गवर्नर जनरल) ने दरगाह के दर्शन के मौके पर कहा था कि उन्होंने महान चरित्र, प्रेम भाव और करुणा की भाषा में इस तरह लोगों से बात की कि लोगों के दिल बदल दिए. महात्मा गांधी ने 1922 में अपनी अजमेर शरीफ यात्रा के दौरान कहा था कि ख्वाजा साहब का जीवन मानव-प्रेम का एक उज्ज्वल जीवन था, सच्चाई फैलाने का उनका अपना मिशन था, उनका पूरा जीवन अहिंसा का उपदेश देता है.

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