क्या आप लाइट मोटर व्हीकल (LMV) के ड्राइविंग लाइसेंस पर ट्रैक्टर चला सकते हैं? तकरीबन 7 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर आपके पास LMV ड्राइविंग लाइसेंस है, आप इसका इस्तेमाल ट्रैक्टर या रोड रोलर चलाने के लिए कर सकते हैं. बशर्ते वाहन का वजन 7,500 किग्रा से अधिक न हो. लेकिन अब कोर्ट उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाने वाली है. इसके बाद यह तय किया जा सकेगा कि, हल्के मोटर वाहन (LMV) का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति ट्रैक्टर जैसे वाहन को चला सकता है या नहीं.
बता दें कि, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को इस कानूनी प्रश्न “क्या हल्के मोटर वाहन (LMV) का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम से अधिक भार वाले वाहन को चलाने का भी हकदार है?.” पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. दरअसल, इस कानूनी सवाल ने LMV लाइसेंसधारकों के परिवहन वाहनों से संबंधित दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों द्वारा दावों के भुगतान को लेकर विभिन्न विवादों को जन्म दिया है.
21 अगस्त को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने संकेत दिया कि वह चुनौती से उत्पन्न होने वाले प्रश्नों पर सरकार के विचार प्रस्तुत करने का इंतजार नहीं करेगी. यानी वो जल्द से जल्द इस पर फैसला ले सकती है.
नौ महीने पहले, 22 नवंबर, 2023 को, केंद्र ने अदालत को सूचित किया था कि वह मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (MVA) की धारा 2(21) और 10 का मूल्यांकन करेगा और संशोधन की सिफारिश करेगा. जो “हल्के मोटर वाहन” (LMV) की परिभाषा और “ड्राइविंग लाइसेंस के प्रारूप से संबंधित है. लेकिन तब से सरकार ने अदालत से कोई संपर्क नहीं किया गया है.
क्या है मामला और कब हुआ शुरू:
इस मामले को समझने के लिए आपको थोड़ा पीछे जाना होगा. साल 2017 में, सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि, क्या LMV के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले व्यक्ति को ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने के लिए अलग से लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी है. उस वक्त अदालत ने कहा था कि हल्के वाहन चलाने का लाइसेंस रखने वाला कोई भी व्यक्ति रोड-रोलर, ट्रैक्टर और “परिवहन वाहन” (जैसे माल वाहक या स्कूल/कॉलेज बसें) भी चला सकता है, बशर्ते वाहन का वजन 7,500 किलोग्राम (बिना किसी अन्य भार के) से ज्यादा न हो. यहां कोर्ट ने ‘Unladen’ (बिना लदे) शब्द का प्रयोग किया था. बिना लदे वजन का मतलब है केवल वाहन का वह वजन जिसमें चालक, यात्री या कोई अन्य भार शामिल न हो.
क्या कहता है मोटर व्हीकल एक्ट:
मोटर वाहन अधिनियम (MVA) की धारा 10 के तहत, प्रत्येक ड्राइविंग लाइसेंस में वाहनों की कैटेगरी की पहचान होनी चाहिए जिन्हें लाइसेंस धारक को चलाने की अनुमति है. यानी आपके लाइसेंस पर यह स्पष्ट तौर लिखा होना चाहिए कि आपको किस तरह के वाहन चलाने की अनुमति है. यह धारा ‘हल्के मोटर वाहन’ (LMV) और ‘परिवहन वाहन’ को दो अलग-अलग श्रेणियों में बांटती है. वहीं MVA सेक्शन 2(21) के तहत, LMV को एक परिवहन वाहन या बस के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसका कुल वजन 7500 किलोग्राम से अधिक नहीं हो.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, अमिताव रॉय और संजय किशन कौल (सभी अब सेवानिवृत्त) की खंडपीठ ने कहा था कि 1994 में मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन के माध्यम से ‘ट्रासपोर्ट व्हीकल’ को एक क्लास के रूप में पेश किया गया था, जिसने यात्री और माल वाहनों की चार पुरानी कैटेगरी में जगह ली थी, जिन्हें लाइट, मीडियम, हैवी और ट्रांसपोर्ट के रूप में वर्गीकृत किया गया था.
उस वक्त बेंच ने कहा था कि ‘परिवहन वाहनों’ की अलग श्रेणी एलएमवी की परिभाषा के अंतर्गत आने वाले वाहनों पर लागू नहीं होगी. क्योंकि इसके बेतुके परिणाम हो सकते हैं. कोर्ट ने तर्क दिया था कि “कोई निजी कार का मालिक, जिसके पास हल्के मोटर वाहन चलाने का लाइसेंस है, अपनी कार में कैरियर या अपनी कार में ट्रेलर लगाता है और उस पर माल ले जाता है, तो लाइट मोटर व्हीकल एक ट्रांसपोर्ट व्हीकल बन जाएगा और मालिक को उस वाहन को चलाने का लाइसेंसी नहीं माना जाएगा”
फैसले को मिली चुनौती:
जुलाई 2011 में मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस को एक ऑटोरिक्शा से जुड़ी दुर्घटना में आवेदक को 5,02,800 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. अपील पर, राजस्थान उच्च न्यायालय ने अगस्त 2017 में माना कि बीमा कंपनी को मुआवजा देना चाहिए क्योंकि ऑटोरिक्शा एक लाइट मोटर व्हीकल और एक परिवहन वाहन था. उस वक्त हाई कोर्ट ने अपने फैसले में मुकुंद देवांगन में SC के फैसले का हवाला दिया था.
बजाज आलियांज ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और तर्क दिया कि मुकुंद देवांगन के फैसले में MVA के तहत कई प्रावधानों पर विचार नहीं किया गया था जो लाइट मोटर व्हीकल और ट्रांसपोर्ट व्हीकल के संचालन के लिए आवश्यकताओं में अंतर दिखाते हैं. मार्च 2022 में, न्यायालय ने माना कि “मुकुंद देवांगन में अपने फैसले में इस न्यायालय द्वारा कुछ प्रावधानों पर ध्यान नहीं दिया गया था”, और मामले को एक कॉन्स्टिट्यूशन बेंच को भेज दिया.
कॉन्स्टिट्यूशन बेंच में क्या हुआ:
जुलाई 2023 में दो दिनों तक दलीलें सुनने के बाद, न्यायालय ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से मामले पर अपना पक्ष रखने को कहा. जिसके बाद भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी 13 सितंबर, 2023 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और तर्क दिया कि मुकुंद देवांगन का फैसला MVA के अनुरूप प्रतीत नहीं होता है. अटॉर्नी जनरल ने अदालत को यह भी बताया कि केंद्र इस मुद्दे पर कानूनी स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए तैयार है. जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि सरकार पूरे मामले का मूल्यांकन करे और संसोधन का रोडमैप प्रस्तुत करे.
बता दें कि, 16 अप्रैल, 2024 को, एजी ने अदालत को सूचित किया कि एक प्रस्तावित संशोधन तैयार है, लेकिन उन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद तक कार्यवाही स्थगित करने के लिए कहा, ताकि इसे संसद के समक्ष रखा जा सके. हालाँकि, जब इस महीने मामला सुनवाई के लिए आया, तो एजी ने अदालत को बताया कि संशोधन संसद के शीतकालीन सत्र (जो दिसंबर में शुरू होता है) में लाया जाएगा.
गौरतलब हो कि, सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और अगर मामले को और आगे के लिए टाला जाता है, तो एक नई बेंच का गठन करना होगा और दलीलें नए सिरे से सुननी होंगी. इस पूरी प्रक्रिया में और भी ज्यादा समय लगेगा. इस स्थिति से बचने के लिए बेंच ने सुनवाई पूरी करने और मामले को बंद करने का फैसला किया है. यानी बहुत जल्द ही इस बात का फैसला हो जाएगा कि, क्या आप लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस पर ट्रैक्टर जैसे वाहन चला सकते हैं या नहीं.