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‘ट्रूडो के साथ 3 साल से सीधे रिश्ते, भारत के खिलाफ…’, खालिस्तानी आतंकी पन्नू का बड़ा कबूलनामा

भारत और कनाडा में चल रही तनातनी के बीच खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ अपने सीधे रिश्तों की बात कबूल की है. पन्नू ने दावा किया कि वह पिछले तीन सालों से ट्रूडो के सीधे संपर्क में रहा है और उसने ही भारत के खिलाफ जानकारी मुहैया कराई, जिस पर ट्रूडो ने कार्रवाई की.

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दरअसल, कनाडा ने पिछले साल हुई खालिस्तानी समर्थक निज्जर की हत्या मामले में भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इसके बाद सोमवार को कनाडा ने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. इस बीच पन्नू ने कनाडा के चैनल सीबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि ये कार्रवाई उसके कहने पर हुई है.

इंटरव्यू में पन्नू ने कहा कि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सोमवार को जो सार्वजिनक बयान दिया था, वह न्याय, कानून के शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति कनाडा की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है. न्याय के लिए सिख प्रधानमंत्री कार्यालय से पिछले 2 से 3 वर्षों से संपर्क में हैं वे सभी जासूसी नेटवर्क का ब्यौरा दे रहे हैं.

इंटरव्यू में पन्नू ने फिर आरोप लगाया कि भारत सरकार ने उसको मारने की साजिश रची, जिससे वह नहीं डरता. उसने आगे कहा, ‘निश्चित रूप से, मैं खालिस्तानी अभियान तभी चला पाऊंगा जब मैं जीवित रहूंगा. इसलिए मैं यह सुनिश्चित करने के लिए सभी सुरक्षा उपाय कर रहा हूं कि मैं खुद को सुरक्षित रख सकूं और दुनियाभर में खालिस्तानी कैंपेन को जारी रख सकूं

कानाडाई पत्रकार ने सवाल किया कि भारत सरकार ने मामले की जांच को कमेटी का गठन किया है. विक्रम यादव की गिरफ्तारी के बारे में आप क्या सोचते हैं? इस पर पन्नू ने दावा किया कि समिति सिर्फ एक दिखावा है, और निष्कर्ष सिर्फ एक लीपापोती होगी. क्योंकि हम सभी जानते हैं खालिस्तानियों के साथ भारतीय न्यायिक प्रणाली के साथ कैसा अनुभव रहा है. चूंकि हम उनके संविधान को मान्यता नहीं देते, उनकी न्यायिक प्रणाली पक्षपातपूर्ण है, वे हमेशा सिख समुदाय के प्रति पक्षपातपूर्ण होते हैं, विशेष रूप से उन लोगों के प्रति जो आलोचनात्मक असहमतिपूर्ण राय रखते हैं. जैसे कि मैं.

उसने कहा कि समिति को अमेरिकी अभियोजन पक्ष, न्याय विभाग द्वारा सारी जानकारी दी गई थी कि यह एक व्यक्ति है, जो RAW में काम करता है और सीधे एनएसए अजीत डोभाल को रिपोर्ट करता है और अजीत डोभाल सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट करते हैं. इसलिए इस जांच समिति का कोई मतलब नहीं है. यह केवल अमेरिका या कनाडा के सामने एक चेहरा और एक कवर अप चेहरा बनाने की कोशिश की जा रही है कि वे एक हत्या की साजिश की जांच कर रहे हैं. और अगर आप मुझसे पूछेंगे तो मेरा मानना है कि मुझे यकीन है कि वे जांच नहीं करने जा रहे हैं. इस हत्या की साजिश के पीछे कौन है? वे मूल रूप से जांच करेंगे कि वे मेरी हत्या कैसे नहीं कर सके. क्या गलत हुआ? उन्होंने एक अमेरिकी अंडरकवर को क्यों काम पर रखा? यह कैसे हुआ?

भारतीय राजनयिकों के निष्कासन पर दिया ये बयान

आतंकी ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिन भारतीय राजनायिकों को कनाडा ने निष्कासित कर दिया गया, वे इंडो अमेरिकन संपर्कों के माध्यम से जासूसी नेटवर्क चला रहे थे. कनाडा सरकार को जानकारी देने के वर्षों के बाद जब प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सामने आकर कदम उठाया है तो यह न्याय की दिशा में सकारात्मक कदम है. लेकिन मुझे लगता है कि भारतीय राजनयिक को निष्कासित करना, जिसने भारतीय एजेंटों को रसद और खुफिया सहायता प्रदान की, जिन्होंने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की, न्याय मिलना नहीं है. यह सिर्फ एक शुरुआत है. प्रो कनाडाई सिख के रूप में हम चाहते हैं कि वैंकूवर और टोरंटो में भारतीय वाणिज्य दूतावास हमेशा के लिए बंद हो जाने चाहिए. क्योंकि भारतीय राजनयिकों को निष्कासित करने के बाद भारत द्वारा उस रिक्त स्थान को भरने के लिए अन्य राजनयिकों को भेजा जाएगा और ऐसे जासूसी नेटवर्क कभी खत्म नहीं होगा. और यह कनाडा की संप्रभुता के लिए एक सीधी चुनौती है.

अपनी जान को बताया खतरा

क्या तुम्हारी जान को अभी भी खतरा है? इस सवाल के जवाब में पन्नू ने कहा कि हमें नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद दिए गए बयान पर ध्यान देने की जरूरत है. जब उन्होंने संसद के पटल पर कहा कि उनकी मजबूत सरकार के तहत वे तथाकथित आतंकवादियों को ढूंढ निकालेंगे और जैसा कि उन्होंने हमें आतंकवादी के रूप में नामित किया है तो वे हमें मार देंगे. इससे भारत सरकार की नीति का पता चलता है. जब किसी देश का प्रधानमंत्री खुलेआम कह रहा है कि वे विदेशी धरती पर जाकर लोगों को मार डालेंगे, मेरे जैसे लोगों को भी जो असहमत राजनीतिक राय रखते हैं, तो सवाल उठता है कि क्या मुझे कोई खतरा नहीं है? मुझे लगभग हर हफ्ते खुली धमकियां मिलती हैं कि मेरा सिर कलम कर दिया जाएगा और कनाडा सरकार तथा अमेरिकी सरकार को पता है.

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