कैंसर, सांस की बीमारी या हार्ट….किससे होती हैं भारत में सबसे ज्यादा मौतें?

भारत में मौतों के प्रमुख कारणों पर जारी नई रिपोर्ट ने स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक गंभीर परिस्थिति सामने रखी है. Registrar General of India की रिपोर्ट के अनुसार, दिल की बीमारी अब मौत की सबसे बड़ी वजह बन चुकी है, जबकि श्वसन संक्रमण यानी रेस्पिरेट्री इंफेक्शन और कैंसर उससे पीछे हैं. यह आंकड़े बताते हैं कि देश में अब स्वास्थ्य नीतियों को किस दिशा में ले जाना जरूरी है.

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रिपोर्ट के अनुसार, Communicable diseases यानी संक्रामक बीमारियां, जैसे रेस्पिरेट्री इंफेक्शन, प्रेग्नेंसी की समस्याएं या पोषण से जुड़ी बीमारियां अभी भी मौजूद हैं, लेकिन उनकी हिस्सेदारी घट रही है. वहीं, Non-communicable diseases (NCDs) जैसे दिल की बीमारी, डायबिटीज, कैंसर और स्ट्रोक जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं और मौतों में इनका योगदान अब आधे से भी ज्यादा है. यह बदलाव भारत के सामने नई चुनौती रखता है. ऐसे में आइए जानें, क्यों लगातार बढ़ रही हैं Non-communicable diseases.

भारत में किस बीमारी से कितनी मौतें?

रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ों के अनुसार, दिल की बीमारी कुल मौतों का 31% कारण है. इसके बाद रेस्पिरेट्री इंफेक्शन 9.3% और कैंसर 6.4% मामलों में जिम्मेदार पाए गए. वहीं क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज 5.7%, पाचन रोग 5.3%, अस्पष्ट बुखार 4.9%, अनजाने हादसे 3.7%, डायबिटीज 3.5% और गुर्दे/यूरिन डिजीज 3% मौतों की वजह बने. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत में मौतों का ग्राफ अब सिर्फ संक्रामक बीमारियों पर केंद्रित नहीं है. उम्र के हिसाब से देखें तो स्थिति और भी स्पष्ट हो जाती है.

30 साल से ऊपर के लोगों में मौत का सबसे बड़ा कारण हार्ट डिजीज है, जो सीधे खराब लाइफस्टाइल से जुड़ा है. वहीं, 15 से 29 साल की उम्र के युवाओं में मौत का सबसे प्रमुख कारण आत्महत्या है. यह तथ्य इस ओर इशारा करता है कि जहां बुज़ुर्ग दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं, वहीं युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबाव बड़ी चुनौती बन गए हैं.

क्यों बढ़ रही हैं Non-communicable Diseases?

Non-communicable diseases (NCDs) यानी दिल की बीमारी, कैंसर, डायबिटीज और स्ट्रोक जैसी बीमारियां आज भारत में मौतों का सबसे बड़ा कारण बन चुकी हैं. इनकी बढ़ती रफ्तार कई सामाजिक और लाइफस्टाइल से जुड़े कारणों का नतीजा है. सबसे पहला कारण है अनहेल्दी खानपान. तैलीय भोजन, जंक फूड और अधिक नमक-शक्कर का सेवन हार्ट और डायबिटीज जैसी बीमारियों को जन्म दे रहा है. दूसरा कारण है फिजिकल एक्टिविटी की कमी. शहरी जीवन की वजह से लोग ज्यादा बैठे रहते हैं और रोज एक्सरसाइज नहीं कर पाते हैं.

आरएमएल अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डायरेक्टर डॉ. सुभाष गिरि बताते हैं कि आजकल लोगों को लाइफस्टाइल बहुत खराब हो चुका है.मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है. तेज लाइफस्टाइल, नौकरी का दबाव और अस्थिर सामाजिक माहौल कई बीमारियों का कारण बन रहे हैं. हार्ट डिजीज और आत्महत्या के मामलों में भी ये इजाफा कर रहे हैं. धूम्रपान, शराब और प्रदूषण भी इन बीमारियों को बढ़ावा देते हैं. इसलिए भारत को अब लाइफस्टाइल सुधार, जागरूकता और प्रिवेंशन पर ध्यान देना होगा.

कैसे करें बचाव?

समय-समय पर स्वास्थ्य जांच करवाएं, जैसे हार्ट, डायबिटीज और कैंसर की शुरुआती जांच.

हेल्दी डाइट लें और रोजाना एक्सरसाइज तथा योग करें.

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग या हेल्पलाइन का उपयोग करें.

धूम्रपान और शराब जैसी आदतों से दूरी बनाएं.

घर और आसपास साफ-सफाई रखें.

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