चेन्नई में 39 वर्षीय कार्डियक सर्जन डॉ. ग्रैडलिन रॉय की अस्पताल में ही हार्ट अटैक से मौत हो गई। डॉ. रॉय अपने कार्य के दौरान अचानक बेहोश हो गए और तुरंत उन्हें नज़दीकी मेडिकल इमरजेंसी में ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश के बावजूद उन्हें नहीं बचा पाए। घटना से अस्पताल के स्टाफ और मरीजों में खलबली मच गई।
जानकारी के अनुसार, डॉ. रॉय दिन भर कई सर्जरी और मरीजों के चेकअप में व्यस्त थे। लंबे समय तक लगातार काम और मानसिक तनाव उनके स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। डॉ. रॉय की मौत ने चिकित्सा समुदाय को भी शोक में डाल दिया है। उनके सहयोगियों का कहना है कि वह अपने पेशे में बेहद समर्पित और मेहनती थे और मरीजों के प्रति उनकी जिम्मेदारी हमेशा सराहनीय रही।
डॉ. रॉय के अचानक निधन से अस्पताल प्रशासन और उनके परिवार में मातम का माहौल है। अस्पताल के प्रमुख ने कहा कि डॉ. रॉय का योगदान क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवा में अमूल्य रहा और उनका निधन चिकित्सा क्षेत्र के लिए बड़ी क्षति है। उनका व्यवहार हमेशा मिलनसार और सहयोगी था, और उन्हें मरीजों के बीच भी काफी सम्मान मिला।
इस घटना ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के काम के तनाव और लंबे समय तक लगातार ड्यूटी करने के खतरों पर भी ध्यान आकर्षित किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य कर्मियों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना उतना ही जरूरी है जितना मरीजों का इलाज करना।
डॉ. रॉय की मौत के बाद अस्पताल में उनके परिवार और सहकर्मियों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी। उनके परिवार ने कहा कि डॉ. रॉय हमेशा अपने मरीजों के लिए समर्पित रहे और उनका जीवन सेवा भाव का उदाहरण था। इस घटना ने डॉक्टरों के स्वास्थ्य और काम के संतुलन पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता को भी सामने रखा।