अयोध्या : हिंदू धर्म के संरक्षण और प्रसार को नई ऊर्जा देने के उद्देश्य से विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अयोध्या की पावन धरती पर एक नई पहल की है. विहिप की ओर से अयोध्या नगरी के गोला घाट क्षेत्र में स्थित जानकी जीवन मंदिर में अर्चक एवं पुरोहित प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई है.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल पारंपरिक पूजा-पाठ और कर्मकांड को विधिवत रूप से सिखाना है, बल्कि प्रशिक्षित पुजारियों को देश-विदेश के मठ-मंदिरों में सेवा करने के लिए तैयार करना भी है. कार्यक्रम के प्रथम बैच में वर्तमान में 20 युवा विभिन्न पूजा पद्धतियों एवं वैदिक कर्मकांड विधियों का गहन प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्रशिक्षण समिति के संरक्षक एवं शिवदयाल जायसवाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य, शिव प्रसाद शुक्ल ने बताया कि प्रशिक्षण की अवधि एक वर्ष की है.
इस अवधि के दौरान प्रतिभागियों को भोजन, जलपान एवं आवास की नि:शुल्क सुविधा विहिप की ओर से उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ ही, प्रत्येक प्रशिक्षु को प्रतिमाह तीन हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जा रही है. श्री शुक्ल ने बताया कि प्रशिक्षण में युवाओं को विभिन्न भाषाओं एवं पूजा पद्धतियों का अभ्यास कराया जा रहा है, जिससे वे विदेशों में बसे हिंदू समाज की धार्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी कर सकें.
उल्लेखनीय है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जाति बंधनों से परे है और किसी भी जाति का हिंदू युवक इसमें भाग ले सकता है। इच्छुक युवक प्रशिक्षण केंद्र पर आकर संपर्क कर सकते हैं। अयोध्या की यह आध्यात्मिक क्रांति आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर हिंदू संस्कृति की गरिमा बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती है.
अर्चक एवं पुरोहित प्रशिक्षण कार्यक्रम के अभी से बेहतर और सार्थक परिणाम आने शुरू हो गए हैं। बड़ी संख्या में सर्वसमाज के हिन्दू बालक इस ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह पहल सनातन को समृद्ध और विस्तार देने वाली साबित होगी.
पाठ्यक्रम तैयार, शामिल किए आगे विविध विषय : श्री शुक्ल ने बताया कि अर्चक एवं पुरोहित प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए दिए जाने वाले प्रशिक्षण के लिए विशिष्ट पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है, जिसमें वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप विविध विषयों को शामिल किया गया है.
सनातन धर्म के अनुसार होने वाले सभी पूजन, अनुष्ठान, सत्यनारायण कथा, श्रीमद्भागवत पाठ, श्रीरामचरितमानस पाठ, व्रत, पारण, देवी जागरण, आदि से लेकर जीवन के 16 संस्कारों से जुड़ी पूजन विधियों के बारे में लोकरीति और कुलरीति की परम्परागत विधियों को भी शामिल किया गया है.